एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे कैप्टन विक्रम बत्रा ने अपने दृढ़ संकल्प, साहस और नेतृत्व से कम उम्र में भारतीय सेना में बड़ी सफलता हासिल की। देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले कारगिल युद्ध के नायक हिमाचल प्रदेश के पालमपुर के पास घुग्गर गांव के रहने वाले थे। आज ही के दिन 7 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान देश ने इस वीर सपूत को खो दिया। कैप्टन बत्रा को उनके सर्वोच्च बलिदान के बाद परमवीर चक्र का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार दिया गया। आपको बता दें कि कैप्टन विक्रम, अपने दोस्तों के बीच शेरशाह के नाम से जाने जाते थे। कैप्टन बत्रा को कॉलेज छात्र के रूप में पंजाब निदेशालय, उत्तरी क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ एनसीसी कैडेट (एयर विंग) से भी सम्मानित किया गया था। वह बचपन से ही भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे। उन्होंने 1996 में अपने सपने को साकार किया जब वे लेफ्टिनेंट के रूप में भारतीय सैन्य अकादमी (देहरादून) में शामिल हुए। विक्रम बत्रा मानेकशॉ बटालियन की जेसोर कंपनी का हिस्सा बने और 13 जेएंडके राइफल्स में कमीशन प्राप्त किया।