जलियावाला बाग में हुआ नरसंहार का काला अध्याहय आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। आज जलियावाला हत्याकांड की 103वीं वर्ष पूरे हो चुके हैं। 13 अप्रैल बैसाखी के दिन ही अमृतसर के जलियांवाला बाग में अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने वहां मौजूदा निहत्थी भीड़ पर लगातार 10 मिनट के लिए अंधाधुंध गोलियां चलवा दी थीं। इस हत्यामकांड में 1,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे, जबकि 1,500 से भी ज्यादा घायल हुए थे। बैसाखी के मौके पर पंजाब में आज ही के दिन जलियावाला बाग़ में एक सभा का आयोजन किया गया था जिसमें कई नेता भाषण देने पहुंचे थे। जहां लोग सभा की खबर सुनकर भाषण में शामिल होने तो कई परिवार मेला देखने और शहर घूमने आये थे। उस वक्त भारत में रॉलट एक्ट लागू किया गया था। ब्रिटिश सरकार को डर था कि इस सभा में रॉलट एक्ट के खिलाफ बगावत न कर दें। इसलिए जब नेता बाग में खड़े होकर भाषण देने लगे तो तभी ब्रिगेडियर जनरल डायर ने अपने 90 सैनिकों को बिना रुके गोलियां चलाने के आदेश दे दिये। उन सब के हाथों में भरी हुई राइफलें थीं जिनमें 10 मिनट तक 1650 राउंड गोलियां चलीं। वहां मौजूदा लोग अपनी जान बचने के लिए भागने लगे कई लोग कुए में कूद गए। आज भी दीवारों पर गोलियों के निशान देखने को मिलते हैं। इस नरसंहार के बाद पूरा देश ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलित हो उठा। बढ़ते संघर्ष के बाद 1920 में डायर को इस्तीफा देना पड़ा।