चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन, मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की हो रही है पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
आज नवरात्रि का तीसरा दिन है, तीसरे दिन चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है, माता रानी का चंद्रघंटा स्वरूप भक्तों पर निर्भय और सौम्यता बनाती है। माता के माथे पर चमकते हुए चंद्रमा के कारण उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। मां चंद्रघंटा को देवी पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता असुरों का वध करने वाली शक्ति है इसलिए उन्हें शत्रुहंता के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है मां ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा हुआ है।
शुभ मुहूर्त और पूजा अर्चना
तृतीया तिथि दोपहर 1 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। सबसे पहले माता की मूर्ति को गंगा जल से पवित्र कर लें, घर में शुद्ध भोजन और प्रसाद का भोग लगाए, पूजा की थाल को सजाये जिसमे रोली, नारियल, हल्दी, सिंदूर, पुष्प, फल, धुप- दीप को रखें। मंत्रो के साथ पुष्प अर्पित कर पूजा संपन करें। माना जाता है कि देवी चंद्रघंटा के मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए। मंत्र जाप करने से सभी परेशानिया दूर हो जाती है।
मां चंद्रघंटा की कहानी
जब भगवान शिव राजा हिमवान के महल में पार्वती से शादी करने पहुंचे, तो वे अपने बालों में कई सांपों के साथ भूत, ऋषि, पिसाच, अघोरी और तपस्वियों के साथ एक भयानक रूप में आए। यह देख पार्वती की मां मैना देवी बेहोश हो गईं। तब पार्वती ने देवी चंद्रघंटा का रूप धारण किया था। फिर उन्होंने भगवान शिव को एक आकर्षक और सामान्य राजकुमार का रूप लेने के लिए मनाया। बाद में दोनों ने शादी कर ली। देवी हमेशा अपने भक्तों के शत्रुओं का नाश करने के लिए उत्सुक रहती है, राक्षसों के साथ उनकी लड़ाई के दौरान, उनकी घंटी से जो ध्वनि उत्पन्न होती है जिससे हजारों दुष्ट राक्षसों को वह मृत्यु प्राप्त हो जाती है।