रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि ब्लॉक के दशज्यूला पट्टी में माँ चंडिका देवी की देवरा यात्रा के तहत समुद्र मंथन लीला की गयी। माता की यात्रा से पूर्व समुद्र मंथन लीला अलकनंदा नदी के किनारे रखी गयी थी। यात्रा और लीला को देखने हजारों की संख्या में भक्त वहां मौजूद रहे। मंथन लीला के दौरान अमृत के रूप में चरणामृत निकाला गया। चरणामृत को प्रसाद के रूप में भक्तों में बड़ी संख्या में वितरित किया गया।
बता दें कि इस भव्य दृश्य को देखने के लिए कल अलंकानदा नदी के किनारे सुबह से ही भीड़ लग गयी थी। दोपहर बाद लगभग साढ़े 12 बजे देवी के पुजारियों ने ब्रह्मपुंज स्वरूप मां भगवती चंडिका की विशेष पूजा-अर्चना करते हुए आह्वान किया। साथ ही पंचनाम देवी-देवताओं का स्मरण कर पूजा की गई। धार्मिक पूजा के बाद पंचामृत तैयार किया गया। इसके बाद दोनों तरफ से विशेष घास से बनाए गए रस्सों से मंथन प्रक्रिया शुरू की गयी जहां एक छोर पर दो देवता और दूसरी छोर पर असुर के रूप में समुद्रमंथन परंपरा शुरू हुई। जिसमें 14 रत्नों को दोनों पक्षों में वितरित किया गया।
ऐसा माना जाता है कि जब माँ चंडिका छह माह तक गांवों का भ्रमण करती है, तो उसके साथ एरवाल, पश्वा, ध्याणियां व ग्रामीण भी रहते हैं। ऐसे में अपने मूल मंदिर में प्रवेश से पहले मां चंडिका समुद्र मंथन से निकले अमृत को अपने भक्तों को देकर उन्हें आरोग्य व सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है।