Thursday, April 25, 2024
उत्तराखंडस्पेशल

हकीकत में दौड़ी केबल रोपवे तो देश का पहला शहर बन जायेगा देहरादून 

दिल्ली – मुंबई की सरपट दौड़ती मेट्रो ….. कोलकाता की डबल डेकर बस और शहरों में सिटी बस , टेक्सी ,ऑटो , टेम्पो , रिक्शा के बाद देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रोमांचक पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू होगा …. जी हाँ .. त्रिवेंद्र सरकार राजधानी में लगने वाले जाम और बढ़ते प्रदुषण को रोकने के लिए अब रोपवे सर्विस शुरू करेगी …  

अगर योजना फाइलों से निकल कर हकीकत में कामयाब होती है तो देहरादून की लाखों जनता अगले कुछ सालों बाद हवा में सफर करते नज़र आएंगे …..  त्रिवेंद्र सिंह रावत की भाजपा  सरकार  देहरादून में  सामान्य परिवहन प्रणाली के लिए 2200 करोड़ की महत्वाकांक्षी रोपवे योजना पर आगे बढ़ रही है …. इसके लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन और उत्तराखंड रेल परियोजना के बीच एमओयू तो पहले ही हो चुका है…. प्रोजेक्ट की डीपीआर भी तैयार की जा रही है  जिसके बाद इस बेहद ख़ास पब्लिक ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने की उम्मीद की जा रही है । रोपवे परियोजना के तहत दून के 20 से 25 किलोमीटर तक का एरिया कवर किया जाएगा। जिस पर करीब 2200 करोड़ का खर्चा होने का अनुमान है। ख़ास बात  ये है कि पुरे प्रोजेक्ट को कम से कम समय में पूरा करने का टारगेट रखा गया है। ये उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धि है क्योंकि रोपवे सर्विस शुरू होते ही देहरादून देश का पहला शहर बन जाएगा। 

यह होंगे केबल कार के कॉरीडोर

  • आइसीएबीटी से राजपुर रोड: यह कैनाल रोड के आसपास तक पहुंचेगा और लंबाई करीब 12 किलोमीटर होगी।
  • एफआरआइ से रिस्पना: यह विधानसभा तिराहे के आसपास पहुंचेगा और इस कॉरीडोर की लंबाई भी करीब 12 किलोमीटर होगी।
  • प्रेमनगर से रेलवे स्टेशन: यह कॉरीडोर कांवली रोड के ऊपर से गुजरेगा और इसकी लंबाई करीब पांच किलोमीटर होगी।

 प्रस्ताव के मुताबिक एक रोपवे में एक बार में लगभग 10 यात्रियों को यात्रा की सुविधा मिलेगी …. रोपवे सेवा शुरू होने के बाद देहरादून के आम लोगों और पर्यटकों को बेहतर परिवहन सेवाएं मिलेंगी। ट्रैफिक जाम से भी निजात मिलेगी। इस वक्त देश में ऐसा कोई शहर नहीं है, जहां रोपवे को सामान्य परिवहन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा हो। इस मामले में देहरादून अपनी तरह का पहला शहर होगा, जहां लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए रोपवे का इस्तेमाल करेंगे।

आपको बता दें कि केबल कार सड़क से कुछ मीटर की ऊंचाई पर केबल के सहारे चलती है। यात्रियों के बैठने के लिए इसमें केबिननुमा बॉक्स बना होता है। इसी में शीट लगी होती हैं। केबल कार की औसत रफ्तार करीब 15 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। इसकी रफ्तार कभी बंद नहीं होती है और स्टेशन वाली जगह पर स्पीड न्यूनतम जरूर हो जाती है। यानी कि यात्री आराम से उतर सकते हैं। यानी अगर आपको शहर में कहीं भी जाना है तो जाम और प्रदुषण की दोहरी समस्या ने निजात मिलने वाली है और मिलने वाली है एक रोमांचक लोकल सफर की सौगात  

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