उत्तराखंड में मिली दुर्लभ फिशिंग कैट, वन विभाग ने फिशिंग कैट का पुनर्वास किया शुरू
तराई पूर्वी डिवीजन में वन विभाग को दुर्लभ फिशिंग कैट मिली है। वन विभाग की टीम ने इसे बचाकर पुनर्वास का कार्य शुरू कर दिया है। यह प्रजाति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची के अंतर्गत संरक्षित है। 15 मार्च को बराकोली सितारगंज रेंज में गश्त के दौरान वनकर्मियों को एक संकटग्रस्त प्रजाति की बिल्ली गंभीर अवस्था में मिली। बिल्ली अपने शरीर का पिछला हिस्सा नहीं उठा पा रही थी। वनकर्मियों ने उसकी स्थिति को देखते हुए तुरंत नैनीताल रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया। उपचार के बाद अब वह पूरी तरह सुरक्षित है। उसके स्वस्थ होने के बाद वन विभाग की टीम ने उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया है। प्रशिक्षु आईएफएस आदित्य रत्न ने बताया कि फिशिंग कैट को बचाने में पश्चिमी सर्कल के मुख्य वन संरक्षक, तराई ईस्ट के डीएफओ, डीएफओ नैनीताल और चिकित्सा स्टाफ और बराकोली सितारगंज रेंज के कर्मियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। फिशिंग कैट मध्यम आकार की होती है जो मुख्य रूप से आर्द्रभूमि (वेटलैंड) में पाई जाती है। भारत में यह पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों में पाई जाती है। उत्तराखंड में इसकी उपस्थिति अत्यंत दुर्लभ मानी जाती है।