Tuesday, April 23, 2024
राष्ट्रीय

इनकम टैक्स पर मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर, सवर्णों के आरक्षण को बनाया आधार

ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के बाद साफ हो गया है कि 8 लाख तक की सालाना आमदनी वाले सवर्ण गरीब हैं और उन्हें आरक्षण का फायदा मिलना चाहिए। तो अब सवाल ये है कि अगर 7,99,999 कमाने वाला गरीब है तो फिर ढाई लाख से ज्यादा कमाने वालों से इनकम टैक्स क्यों वसूला जाता है। जी हां सवाल एकदम वाजिब है और इन दिनों मद्रास हाई कोर्ट में दायर एक याचिका की खूब चर्चा हो रही है। ये याचिका है इनकम टैक्स को लेकर। दरअसल, एक शख्स ने याचिका डाल कर पूछा है कि जब आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने का आधार आठ लाख रुपये से कम की आमदनी रखी गई है तो फिर ढाई लाख रुपये से ज्यादा कमाने वालों पर इनकम टैक्स क्यों लगता है। याचिका दायर करने वाले डीएमके के नेता कुन्नूर सीनीवासन हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि फाइनेंस एक्ट 2022 के फस्ट शेड्यूल में संशोधन किया जाए। ये प्रावधान कहता है कि कोई भी व्यक्ति जिसकी कमाई साल में 2.5 लाख रुपये से कम है, उसे इनकम टैक्स की सीमा से बाहर रखा जाएगा। याचिका दायर करने वाले ने हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को आधार बनाया है जिसमें सवर्णों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था को सही ठहराया है। याचिकाकर्ता का कहना है सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह साबित हो गया है कि आठ लाख से कम सालाना आय वाले गरीब हैं। ऐसे लोगों से इनकम टैक्स वसूलना ठीक नहीं हैं। ये ऐसे लोग हैं जो पहले से ही शिक्षा और अन्य क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं। और वर्तमान आयकर अधिनियम का प्रावधान सर्वाेच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ है। अब मामला दिलचस्प हो गया है, याचिका पर सुनवाई करते हुये मद्रास हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से जवाब तलब कर लिया है। इस मामले में अब कोर्ट 4 हफ्ते बाद फिर सुनवाई करेगी, देखना होगा कि केन्द्र सरकार का इसमें क्या जवाब आता है।

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