बीती रात भारतीय रेल इतिहास की वो काली रात साबित हुई है जिसका दर्द सालों तक सताता रहेगा। शुक्रवार शाम को ओडिशा के बालेश्वर जिले में दर्दनाक रेल हादसा हो गया। जहां बाहानगा स्टेशन के निकट शुक्रवार शाम करीब सात बजकर 20 मिनट पर हावड़ा-शालीमार एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई, इस दर्दनाक हादसे में 238 लोगों की मौत हो गई, जबकि 900 लोग घायल हो गए। हादसे के बाद आज सुबह केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी दुर्घटनास्थल पर पहुंचे। रेल मंत्री ने कहा कि इस वक्त रैस्क्यू जारी है फिलहाल, हमारा ध्यान बचाव कार्य पर है।
घटनास्थल में अभी भी बोगियों में लोग फंसे हुये हैं और एनडीआरएफ, सेना का संयुक्त रैस्क्यू अभियान युद्ध स्तर पर जारी है। कोशिश यही की जा रही है कि अगर बोगियों के भीतर कोई जिंदा हो तो उसे हर हाल में बचाया जा सके। भारतीय रेल इतिहास में ऐसा दर्दनाक हादसा पहले कभी नहीं देखा गया जहां तीन-तीन ट्रेनें आपस में टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई हों।
चलिये आपको बताते हैं कि अखिर ये हादसा कैसे हुआ-
दरअसल बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन शुक्रवार शाम अचानक पटरी से उतर गई। जिसके चलते उसकी कुछ बोगियां बराबर वाली पटरी पर जा गिरीं। इसी बीच बराबर वाली पटरी पर शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस आ गई और वो पटरी पर गिरी बोगियों से जा टकरा। इसके बाद चेन्नई एक्सप्रेस भी टक्कर लगने के बाद पटरी से उतरी गई और इसकी कुछ बोगियां एक माल गाड़ी से जा टकराईं।
अब इस हादसे पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, आखिर रेलवे की सुरक्षा के दावों का क्या हुआ? भारतीय रेल के जिस सुरक्षा कवच की वाहवाही की जा रही थी उसका क्या हुआ? अभी तक जो भी तथ्य सामने आये हैं उन्हें देखकर तो यही लगता है कि हादसा रेलवे की लापरवाही के चलते हुआ है। हालांकि रेलवे ने इस घटना पर जांच बिठा दी है। पीएम मोदी ने भी इस घटना को लेकर दिल्ली में एक हाईलेवल मीटिंग बुलाई है।