मोबाइल और डाइनामाइट, वो आविष्कार जिन्हें बनाने के बाद इनके आविष्कारकों को हुआ पछतावा
विज्ञान जगत के नये-नये आविष्कारों की मदद से दुनिया तेजी से आधुनिकता की ओर बढ़ रही है। वैज्ञानिक आविष्कार से लोगों के रहन-सहन में भी बदलाव आये हैं और उनका जीवन आसान बन गया है। लेकिन कुछ ऐसे आविष्कार भी हुये हैं जिन्होंने मानव जीवन को ही संकट में डाल दिया। ऐसा हम नहीं बल्कि इनका आविष्कार करने वाले वैज्ञानिकों ने खुद कहा है। पहला आविष्कार है डाइनामाइट। जी हां डाइनामाइट का आविष्कार करने वाले मशहूर वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल का मानना था कि उन्होंने डाइनामाइट का आविष्कार कर पूरी मानवता को संकट में डाल दिया। इस बात का एहसास उन्हें तब हुआ जब एक बार उनकी डाइनामाइट फैक्ट्री में धमका हो गया और इस विस्फोट में कई लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में नोबेल के एक भाई भी थे। तब नोबेल ने कहा था कि उन्होंने डाइनामाइट बनाकर गलती कर दी अच्छा होता इसके बजाय वो जीवन बचाने वाली कोई दवा बनाते। नोबेल जब तक जिंदा रहे वो इसी पश्चाताप में जलते रहे। वही थे जिन्होंने नोबेल पुरस्कार की शुरूआत कराई और आज तक उन्हीं के नाम पर नोबेल पुरस्कार दिये जा रहे हैं।
अब इस कड़ी में एक और आविष्कार जुड़ गया है और इस आविष्कार के जनक का भी मानना है कि उन्होंने ये आविष्कार कर गलत किया। हम बात कर रहे हैं मोबाइल फोन की। जी हां एल्फ्रेड नोबेल की तरह ही अब मोबाइल फोन के जनक मार्टिन कूपर अपने ही आविष्कार से दुखी हैं। एक इंटरव्यू में अमरीका के 93 वर्षीय इस इंजीनियर का कहना है कि उन्हें एहसास हुआ है कि उन्होंने मोबाइल फोन बनाकर गलती कर दी है। उनकी निराशा की वजह है लोगों का जरूरत से ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना। इस अति को देखते हुए उन्होंने दुनियाभर के लोगों को सलाह दी है कि मोबाइल पर समय बर्बाद करने की बजाय असली जिंदगी जिएं। आपको बता दें कि 70 के दशक में मार्टिन कूपर मोटोरोला कपंनी की मोबाइल फोन बनाने वाली टीम के निरीक्षक रहे और 1973 में वे पहले इंसान थे जिन्होंने मोबाइल फोन का सबसे पहले प्रयोग किया था।
यानी डाइनामाइट और मोबाइल फोन, इन दोनों के आविष्कारकों की सोच एक जैसी रही है। जब डाइनामाइट का आविष्कार हुआ तो माइनिंग जगत में क्रांति आ गई थी। नोबेल मालामाल हो गये। लेकिन धीरे-धीरे इसका उपयोग विष्फोटक सामाग्री के रूप में ज्यादा होने लगा। डाइनामाइट जीवों, इंसानों और पर्यावरण को मारने वाला एक हथियार बन गया। जब लोगों के हाथों में पहली बार मोबाइल फोन आया तो ये एक युगान्तकारी घटना बन गई और इसने पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया। आज वही मोबाइल इंसानों पर इस कदर हावी हो चुका है कि उसे बनाने वाला ही दुखी है।