तांगेवाले महाशय कैसे बने मसाला किंग – महाशय दी हट्टी की जानिये कहानी
आपने टीवी पर एक विज्ञापन जरूर देखा होगा जिसमें मसालों की दुनिया के बादशाह कहे जाने वाले बुजु्र्ग महाशय धर्मपाल गुलाटी नज़र आते हैं। मसाला किंग आज धर्मपाल गुलाटी नब्बे साल से ज्यादा की उम्र पार कर चुके हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनियाभर में अपने मसालों के जायकों के लिए पहचान रखने वाले धर्मपाल गुलाटी की जिंदगी आज नयी पीढ़ी के लिए एक मिसाल है …..
आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकल को वोकल और स्वरोज़गार की बात करते हैं तो महाशय धर्मपाल की सफलता की कहानी जीवंत हो जाती है। एमडीएच इस नाम के पीछे की क्या कहानी है आप जानते हैं …. नहीं जानते तो चलिए हम आपको बताते हैं महाशय धर्मपाल गुलाटी के पिता महाशय चुन्नीलाल की सियालकोट में ‘महाशय दी हट्टी’ नाम से दुकान थी। इसी ‘महाशय दी हट्टी’ से आया है एमडीएच का नाम …. भारत के बंटवारे के वक्त इनका परिवार सियालकोट से दिल्ली के करोलबाग में आकर बसा था।
ये वो दौर था जब मसाला किंग को ज़िंदगी की गाडी चलाने के लिए दिल्ली के कुतुब रोड़ पर तांगा चलाना पड़ा था। इसके बाद इन्होने ताजे मसालों को कूटकर बेचना शुरू किया और वक्त के साथ उनका बिजनेस फैलता गया। अपने लम्बे संघर्ष और उठा पटक को सफलता में तब्दील करने वाले महाशय धर्मपाल अपने विज्ञापनों के ज़रिये आज हिन्दुस्तान के घर घर में पहचाने जाते हैं … नब्बे साल से ज्यादा की उम्र पार कर चुके महाशय इन दिनों कोरोना काल के चलते अपने गुलाटी परिवार के मुखिया की भूमिका निभा रहे हैं आज एमडीएच ग्रुप हो या घर हर एक छोटा बड़ा फैसला उनकी जानकारी के बाद ही लिया जाता है।
आपको ये भी बता दें कि महाशय धर्मपाल पक्के आर्यसमाजी हैं और चप्पल जूते को छोड़ कर ये ज़िंदादिल बुजुर्ग दिल्ली के करोलबाग में आज भी नंगे पांव घूमते हैं। इसकी वजह उन्होंने अपने एक दोस्त को बताते हुए कहा, काके, करोल बाग में जब भी आता हूं तो जूते-चप्पल पहनकर नहीं घूमता। मेरे लिए करोल बाग मंदिर से कम नहीं है। इसी करोल बाग में खाली हाथ आया था। यहां पर रहते हुये ही मैंने कारोबारी जिंदगी में इतनी बुलंदियों को छूआ। इनके उसूल और कड़ी मेहनत का ही नतीज़ा है कि आज धर्मपाल गुलाटी भारत के सफल बिजनेसमैन हैं।
- MDH के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में एक सामान्य परिवार में हुआ था….. इनके पिता का नाम महाशय चुन्नीलाल और मा का नाम चनन देवी था…… सियालकोट में इनके पिताजी की मसालोंं की एक छोटी सी दुकान थी जिसका नाम महाशय दी हट्टी था….. इसी महाशय दी हट्टी से नाम आया MDH ….. ये बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि देश के इस बड़े ब्रांड के मालिम महाशय धर्मपाल ने 1933 में 5 वी कक्षा मेें फेल होने से स्कूल की पढाई छोड़ दी थी ….. इनके पढाई छोडने के बाद सबसे पहले इनके पिता ने उन्हें लकड़ी का काम सीखने एक बढ़ई के पास भेजा …. इनका मन वहॉ भी नहीं लगा और ये 8 माह काम करने के बाद वहॉ भी नहीं गये…… इसके बाद इन्होंने साबुन का व्यवसाय किया फिर कपड़ो के व्यापारी बने फिर बाद में ये चावल के भी व्यापारी बने लेकिन इनमेंं से किसी भी व्यापार में वे लंबे समय तक नही टिक सके ….
- इसके बाद में इन्होंने दोबारा अपने पैतृक व्यवसाय को ही करने की ठानी और मसालोंं का व्यवसाय किया ….. इसके बाद देश का विभाजन हुआ और ये 27 सितम्बर 1947 को भारत आकर दिल्ली रहने लगे ….. दिल्ली आकर इन्होंने नयी दिल्ली स्टेशन से कुतब रोड और करोल बाग़ से बड़ा हिन्दू राव तक तांगा चलाने का कार्य किया ….. इसके बाद कुछ पैसे इकट्ठे कर एक लकडी की दुकान खरीदी और परिवारिक के व्यवसाय यानि मसालों का व्यवसाय का काम दोबारा करोल बाग से शुरू किया …. इसके बाद इन्होंने 1953 में अपनी दूसरी दुकान चांदनी चौक में खोली ….
- सफलता का सिलसिला चल पड़ा और 1959 में इन्होंने दिल्ली के कीर्ति नगर में मसालों की एक फैक्ट्री लगा दी ..
- ये महाशय जी की मेहनत और लगन ही थी जिकी वजह से सियालकोट के एक युवक ने दिल्ली में अपना झंडा गाड़ दिया था … इन्होंने अपने ब्रांड MDH का नाम रोशन करने के लिए सैलून साल लम्बी मेहनत की ….. और आज एमडीएच की देशभर में 15 फैक्ट्री हैं ….. MDH ब्रांड मसालों के भारतीय बाज़ार में 12 % हिस्से के साथ दुसरे स्थान पर है। ….. आज MDH कंपनी 100 से ज्यादा देशों मेंं अपने 60 से अधिक प्रोडक्ट्स बेच रही है। ….. महाशय धरमपाल गुलाटी जी मसालों के व्यापार के साथ-साथ कई सामाजिक कार्यों से भी जुडे हुऐ हैं। ….
- इनकी संस्था ने कई स्कूल और अस्पताल भी बनवाये है। ….. जिनमें MDH इंटरनेशनल स्कूल, महाशय चुन्नीलाल सरस्वती शिशु मंदिर, माता लीलावती कन्या विद्यालय, महाशय धरमपाल विद्या मंदिर इत्यादि शामिल है ….. उम्र को बेची छोड़ते हुए महाशय जी भारत में 2017 में सबसे ज्यादा कमाने वाले FMCG सीईओ बन चुके हैं ….. आज देश को ऐसे ही मजबूत हौसले और बुलंद इरादों के नौजवानों की ज़रूरत है जिससे देश स्वरोजगार की और आगे बढ़ सकेगा ….