पंचतत्व में विलीन हुये शहीद नारायण सिंह, पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार
1968 में रोहतांग दर्रे में क्रैश हुये विमान हादसे में शहीद हुये उत्तराखंड के जवान नारायण सिंह का आज पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया। पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव कोलपुड़ी पहुंच गया है।
बीते दिन उनका पार्थिव शरीर चमोली स्थित उनके पैतृक गांव कोलपु पहुंचा। कल से ही उनको श्रद्धाजंलि देने के लिए आस-पास के गांवों से सैकड़ों लोग पहुंचे। नारायण सिंह के भतीजे राजेंद्र सिंह ने बताया कि जब सेना के अधिकारियों ने परिवार से संपर्क किया तो हम अभिभूत हो गए। हमें पार्थिव शरीर मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी, दिल में हमेशा एक टीस रही कि उन्हें अंतिम संस्कार भी नसीब नहीं हो पाया। वो आज भलेही तिरंगे में लिपटकर लौटे हैं मगर सुकून है कि वो आये जरूर।
आपको बता दें कि शहीद नारायण सिंह सेना के मेडिकल कोर में तैनात थे। 56 साल बाद उनका पार्थिव शरीर गांव लौटा। इस बीच दिल को छू लेने वाला एक और वाकया सामने आया है। सर्च दल के मुताबिक नारायण सिंह की जेब उनकी पत्नी के नाम लिखी एक चिट्ठी मिली। जिससे पत्नी का नाम और उनके गांव के नाम का पता चला।
1968 में चंडीगढ़ से लेह जाते समय सेना का विमान हिमाचल के रोहतांग दर्रे के आस-पास क्रैश हो गया था। विमान खराब मौसम में फंस गया और हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। बीते दिन सेना के सर्च दल ने नारायण सिंह समेत चार जवानों के पार्थिव शरीर बरामद किये थे। जो 56 साल से बर्फ में दबे थे।