भगवान शिव की अराधना करने के लिए हिन्दू धर्म में हर वर्ष महाशिवरात्रि का शुभ पर्व मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में भगवान शिव को पूरे संसार का पालनकर्ता और संहारक माना जाता है। उन्हें त्रिलोक का स्वामी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने पूरे संसार को हलाहल विष से बचाया था। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब पूरी सृष्टि विष से सुरक्षित हो गई थी तो भगवान शिव ने सुंदर नृत्य किया था।ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत और विधि विधान से पूजा करने पर शिवजी अपने भक्तों की इच्छाएँ अवश्य पूरी करते हैं।
क्यों मनाई जाती है शिवरात्रि
महाशिवरात्रि मनाने के पीछे अनेक मत हैं लेकिन शिव पुराण जैसे ग्रंथों में शिवरात्रि मनाने का महत्व बताया जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए हलाहल विष को ग्रहण किया था और पूरे संसार को इस भयंकर विष से मुक्त किया था। इसी विष को धारण करते हुए भगवान शिव ने बीच में सुंदर नृत्य किया था। इस नृत्य को देवताओं ने बहुत महत्व दिया और हर साल इस दिन शिवजी की अराधना करनी शुरु कर दी।
एक मत के अनुसार शिवरात्रि को शिव और शक्ति के संमिलन के रुप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती से शादी की थी। इसी दिन भगवान शिव ने वैराग्य रुप त्यागकर गृहस्थ जीवन शुरु किया था। शिवरात्रि के 15 दिन बाद होली का त्योहार मनाने के पीछे भी यह कारण माना जाता है।
एक मान्यता यह भी है कि जब गंगा पूरे उफ़ान के साथ धरती पर उतर रही थीं तब भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया था और पृथ्वी का विनाश होने से बचाया था। इस दिन शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है।
महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की पूजा-अर्चना की जाती है औऱ उपवास रखा जाता है। वहीं शिवरात्रि सिर्फ एक त्योहार नहीं है, इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। माना जाता है कि इस दिन मन-मस्तिष्क में ऊर्जा का नया स्वरुप उत्पन्न होता है। वैज्ञानिक महत्व के अनुसार इस रात ग्रह का उत्तरी गोलार्ध इस तरह से अवस्थित होता है कि मनुष्य औऱ जीव-जंतु सभी के अंदर प्राकृतिक रुप से ऊर्जा का विस्तार होता है।