अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस आज, जानिए क्यों मनाया जाता है मातृभाषा दिवस
पूरी दुनिया में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इस दिन बहुभाषी समाजों के माध्यम से पारम्परिक ज्ञान और संस्कृतियों को संरक्षित और प्रसारित किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के विचार को 1999 में यूनेस्को के आम सम्मेलन में मंजूरी मिली थी। फिर साल 2000 से इसे दुनियाभर में मनाया जाने लगा। हर साल इस दिन को एक ख़ास थीम के जरिये मनाया जाता है। इस साल का थीम बहुभाषी शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग- चुनौतियां और अवसर है।
भारत की बात करें तो साल 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में कुल 121 भाषाएं और 270 मातृभाषाएं बोली जाती हैं। अनुसूचित भाषाओं की श्रेणी में कुल 123 मातृभाषाएं हैं और 147 मातृभाषाओं को गैर-अनुसूचित भाषाओं के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है। असमिया, बंगाली, गुजराती, अवधी, हिंदी, राजस्थानी, हरियाणवी, कन्नड़, कोंकणी, मणिपुरी, उड़िया, मलयालम, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, सिंधी, उर्दू और तेलुगु कुछ व्यापक रूप से ज्ञात मातृभाषाएं हैं और इन्हें भारत के संविधान में आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। अन्य अनुसूचित मातृभाषाओं में मराठी, छत्तीसगढ़ी, मैथिली, मारवाड़ी, डोगरी, पहाड़ी, सम्बलपुरी और भोजपुरी शामिल हैं। गैर-अनुसूचित मातृभाषा श्रेणी में अफगानी, अरबी, अंग्रेजी, बाउरी, खरिया, किन्नौरी, तुलु, शेरपा, माओ, मोनपा और गुजरी शामिल हैं।