पाकिस्तान अपने अस्तित्व के सबसे बड़े संकटों में से एक को झेल रहा है। पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर पहुँच चुका है। आईएमएफ के साथ बेलआउट पैकेज पर चल रही बातचीत असफल रही। पिछले शुक्रवार आईएमएफ की टीम पाकिस्तान के लोन के प्रस्ताव को मंजूर किए बिना ही लौट गई। ऐसे में पाकिस्तान के आर्थिक हालात बहुत बिगड़ चुके हैं। सबसे बुरे हालात पाकिस्तान की आम जनता के है, जिसकी कमर महँगाई से टूटती जा रही है। अब हालात ये हो चुके हैं कि देश की आम जनता सड़क पर उतर चुकी है और विरोध प्रद्रशन कर रही है।
हालात इस कदर बद्तर हो गए हैं कि लोग अब सिर्फ खाने की चिंता कर रहे हैं और शिक्षा औऱ अन्य चीजें कहीं न कहीं हाशिये पर चली गई हैं। पाकिस्तान में महँगाई 48 सालों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। सिर्फ अमीर वर्ग ही इसका सामना कर सकता है। निम्न आय वर्ग के लोगों को तो अपने घर का खर्च चलाने के लिए भी उधार लेना पड़ रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक स्थानीय सीफूड व्यापारी ने बताया कि उसकी बिक्री आधी रह गई है। मध्यम वर्गीय लोगों ने बाजारों से दूरी बना ली है। इसी तरह पेट्रोल पंपों पर भी तेल की बिक्री में खासी कमी आई है। पाकिस्तान के किसानों के भी बुरे हाल हैं। बढ़ती महंगाई ने किसानों की लागत को कईं गुना बढ़ा दिया है। साथ ही बिजली की कमी भी पाकिस्तानी जनता के लिए मुसीबत बनी हुई है। पाकिस्तान के किसानों का कहना है कि उनके पास पर्याप्त खाना नहीं है, ऐसे में बिजली, शिक्षा औऱ कपड़े का इंतजाम कहाँ से करें।