उत्तराखण्ड के गढ़वाल में स्थापित होगी भारत की पहली वेधशाला, 10 सेमी आकार तक की वस्तुओं पर रखेगी नजर
धरती की परिक्रमा कर रही 10 सेंटीमीटर आकार तक की वस्तुओं पर नजर रखने के लिये भारत की पहली वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरुकता वेधशाला उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थापित की जाएगी। अंतरिक्ष क्षेत्र की स्टार्ट-अप ‘दिगंतरा’ द्वारा यह निर्माण किया जाएगा। अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता (एसएसए) वेधशाला भारत को अंतरिक्ष में किसी भी गतिविधि पर नजर रखने में मदद करेगी, जिसमें अंतरिक्ष मलबे और इस क्षेत्र में मंडराने वाले सैन्य उपग्रह शामिल हैं। फिलहाल, विभिन्न स्थानों पर मौजूद अपनी वेधशालाओं और दुनिया भर से वाणिज्यिक कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली अतिरिक्त जानकारी के साथ अमेरिका अंतरिक्ष में मलबों व अन्य वस्तुओं पर नजर रखने के लिहाज से सबसे प्रभावी है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में वेधशाला से इस क्षेत्र में एसएसए गतिविधियों के अहम अंतर को पाटने में मदद मिलेगी क्योंकि अभी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी अफ्रीका के बीच इन गतिविधियों का अभाव है। उच्च गुणवत्ता की निगरानी के साथ ही जमीन पर स्थिति संवेदी नेटवर्क से अंतरिक्ष में हो रही गतिविधियों पर नजर रखने में मदद मिलेगी। वेधशाला भारत को उपमहाद्वीप पर अंतरिक्ष गतिविधि की निगरानी करने की स्वदेशी क्षमता भी देगी। यूक्रेन में युद्ध से पहले कई रूसी उपग्रहों को क्षेत्र के ऊपर मंडराते देखा गया था। उदाहरण के लिए, अगर चीनी उपग्रह भारत के एक क्षेत्र विशेष में लंबे समय तक देखे जाते हैं, तो इन गतिविधियों पर नजर रखने के लिये अमेरिका जैसे देशों पर निर्भर हुए बगैर, स्वदेशी क्षमता होना भारत के लिए फायदे की बात है। भारत ‘मल्टी-ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रडार’ का उपयोग करके अंतरिक्ष में वस्तुओं की निगरानी कर रहा है और एसएसए वेधशाला होना इस क्षेत्र में भारत के लिए काफी फायदेमंद होगा।