उत्तराखण्ड में ऊर्जा निगम राजस्व के मामले में अपना खजाना बढ़ा रहा है बावजूद इसके जनता पर महंगी बिजली का भार है। बीते वर्ष 2021- 2022 की बात करें तो ऊर्जा निगम ने अब तक का सर्वाधिक 7673 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया था। जोकि वर्ष 2020-21 से 936 करोड़ रुपये अधिक है। हैरानी की बात है कि बावजूद इसके निगम का घाटा कम नहीं हो पा रहा है। बिजली के दरों में वृद्धि को लेकर ऊर्जा निगम के प्रबंधक अनिल कुमार का कहना है कि बिजली की मांग की उपलब्धता बनाने के लिए रोजाना 10 से 15 करोड़ रुपये की बिजली खरीदी जा रही है। इससे ऊर्जा निगम पर वित्तीय भार बढ़ता जा रहा है। इसके तहत ऊर्जा निगम बिजली के दाम में एक साल के भीतर दोबारा बढ़ोत्तरी करने की बात कह रहा है। हालांकि, विद्युत अधिनियम-2003 के तहत एक साल में दो बार बिजली की दर नहीं बढ़ाई जा सकती, लेकिन ऊर्जा निगम इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने में जुटा है। बता दें कि पिछले दो महीने से उत्तराखंड में बिजली की समस्या चल रही है। प्रदेशवासियों को रोजाना बिजली कटौती से झूझना पड़ रहा है। ऐसे में बाजार से महंगी बिजली खरीदकर भी आपूर्ति सामान्य करने का प्रयास किया गया।