उत्तराखंड में मधुमक्खियों के डंक से रुकेंगे हांथियों – इंसानों के संघर्ष
उत्तराखंड में यमुना से लेकर शारदा नदी तक के हाथी बहुल क्षेत्र में गजराज और मनुष्य के बीच टकराव टालने को अब नए उपाय धरातल पर उतारा जाएंगे। यहां कांटेदार बांस, अगेव अमेरिकाना के साथ ही मधुमक्खियां हाथियों को आबादी की तरफ आने से रोकेंगे।
वन विभाग की अनुसंधान विंग को इसके लिए अनुसंधान सलाहकार समिति (आरएसी) से मंजूरी मिल गई है। श्यामपुर और लालकुंआ क्षेत्र में यह प्रयोग किए जाएंगे। इसके साथ ही हाथियों को जंगल में थामने के मद्देनजर अब तक उठाए गए कदमों की भी समीक्षा की जाएगी।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में यमुना से लेकर शारदा तक राजाजी व कार्बेट टाइगर रिजर्व के अलावा 13 वन प्रभागों के 6643.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हाथियों का ठिकाना है। जानकार बताते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब पहाड़ में जंगलों में हाथी बिना किसी परेशानी और रुकावट के विचरण किया करते थे लेकिन समय के साथ सब कुछ बदल गया है , इंसानों के दखल बढ़ने के साथ ही हांथियों की आवाजाही पर बाधाएं बढ़ा दी हैं। जंगल से कहीं रेल लाइन व हाईवे गुजर रहे हैं, तो कहीं इंसानों ने अपने घर आबाद कर लिए हैं। इस बदलाव का सबसे ज्यादा नुकसान बेजुबान जानवरों को भुगतना पड़ रहा है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि बीते सालों में उत्तराखंड में हाथियों के हमलों में 12 लोगों की जान गई, जबकि 20 हाथियों की मौत हुई। इस साल ही अब तक नौ हाथियों की मौत हो चुकी है।
ये अलग बात है कि उत्तराखंड में हांथियों को जंगल में बेहतर माहौल देने के लिए पहले सोलर फेंसिंग, हाथी रोधी दीवार, और खाई खुदान, वन सीमा पर लैमनग्रास का रोपण जैसे तरीके अपनाये गए लेकिन जिस तरह की उम्मीद हांथियों की सुरक्षा को लेकर की जा रही थी वो पूरी नहीं हो पा रही थी। इसे देखते हुए अब नए उपायों पर जोर दिया जा रहा है । आर ए सी ने भी वन विभाग की अनुसंधान विंग को इसकी अनुमति भी दे दी है। उम्मीद की जा रही है कि नए प्रयोग से हांथियों की सबसे बड़ी मुसीबत का निदान मिल सकेगा।