आखिरकार सरकार ने उत्तराखण्ड के जर्जर हो चुके स्कूलों की सुध ली है, लेकिन सरकार को सुध दिलाने के लिये एक 9 साल के मासूम को जान देने पड़ी है, आधा दर्जन बच्चों को घायल होना पड़ा है। बीते दिन चंपावत के पाटी में बाथरूम की छत गिरने से तीसरी में पढ़ने वाले छात्र चंदन सिंह लडवाल की मौत हो गई और इस हादसे में स्कूल के पांच बच्चे घायल हो गये। ये अकेला स्कूल नहीं था जिसकी छत और दीवारें कमजोर पड़ चुकी थीं, उत्तराखण्ड में ऐसे सैकड़ों स्कूल हैं जहां चंपावत जैसा हादसा किसी वक्त हो सकता है। चलिये आपको उत्तराखण्ड के जर्जर पड़ चुके स्कूलों का एक आंकड़ा दिखाते हैं। जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे।
उत्तराखण्ड में 1116 प्राथमिक और 172 माध्यमिक विद्यालय जीर्ण-शीर्ण हालत में पहुंच चुके हैं।
अल्मोड़ा में 22 माध्यमिक और 108 प्राथमिक स्कूल जर्जर हो चुके हैं।
बागेश्वर में 07 माध्यमिक और 43 प्राथमिक स्कूल जर्जर हैं। चमोली में 09 माध्यमिक और 70 प्राथमिक,
चंपावत में 07, 49
देहरादून, 01, 120
हरिद्वार, 03, 48
नैनीताल, 16, 119
पौड़ी, 38, 133
पिथौरागढ़, 24, 128
रुद्रप्रयाग, 15, 44
टिहरी, 17, 135
ऊधमसिंहनगर, 06, 40
उत्तरकाशी, 07, 49
यानी इन स्कूलों की छत या दीवारें किसी भी वक्त गिर सकती हैं और इनमें पढ़ने वाले बच्चों की जान खतरे में। बीते दिन चंपावत में हुये हादसे में जब एक 9 साल के मासूम की जान गई तब सरकार नींद से जागी। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने राज्यभर में जर्जर हो चुके स्कूलों को गिराने के आदेश दिये हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि शिक्षा विभाग जर्जर भवनों को गिराकर नये भवन खड़े करने में लेट लतीफी नहीं करेगा और किसी मासूम चंदन को फिर अपनी जान नहीं गवानी पड़ेगी।