भारतीय रेल ने सीनियर सिटीजन का कंसेशन खत्म करने के बाद आम रेल यात्रियों को एक और तगड़ा झटका दिया है। अभी तक रेलवे में पांच साल तक के बच्चे मुफ्त सफर करते थे। लेकिन अब आपके 5 साल से कम उम्र के बच्चों को भी पूरा किराया देना होगा। जी हां जैसी ही कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये खबर बाहर आई पूरे देश में लोग सर पकड़कर बैठ गये। भला हो भी क्यों नहीं 5 साल से कम उम्र के बच्चे अब तक ट्रेन में मुफ्त सफर कर रहे थे इसमें मां-बाप का बड़ा फायदा था। अब अगर 5 साल से छोटे बच्चों का भी पूरा टिकट चुकाना पड़ेगा तो झटका लगता तय था। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर मोदी सरकार को इस मुद्दे पर आड़े हाथों लिया। इसके बाद सोशल मीडिया पर मोदी सरकार के इस फैसले के चौतरफा निंदक कूद पड़े। लेकिन सच्चाई कुछ और निकली। दरअसल ये व्यवस्था वैकल्पिक है। यदि आप 1 से 5 साल तक के बच्चे के लिए अलग सीट मांगते हैं तो आपको पूरा किराया देना होगा। वहीं आप यदि अलग सीट नहीं चाहते तो आप टिकट में सिर्फ उसका नाम दर्ज कर सकते हैं। आपको अलग से किराया नहीं देना होगा। बता दें कि रेलवे 5 से 12 साल तक के बच्चों को यही दो विकल्प देता था, जिसमें अंतर यही था कि सीट न लेने की स्थिति में बच्चे का हाफ टिकट ही लगता था। इसके बाद रेल मंत्रालय ने एक बयान जारी कर ट्रेन यात्रा के दौरान बच्चों के लिए अलग से टिकट बुक करने की खबरों का खंडन किया है। मंत्रालय ने कहा कि नियम में ऐसा कोई बदलाव नहीं किया गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि एक से चार साल की उम्र के बच्चों को ट्रेन में यात्रा करने के लिए अलग से टिकट लेना होगा। हालांकि, मंत्रालय ने इन रिपोर्टों को भ्रामक करार दिया है। मंत्रालय ने कहा कि यात्रियों को पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए टिकट तभी खरीदना होगा जब उन्हें अलग बर्थ चाहिए। रेलवे ने कहा, अगर वे एक अलग बर्थ नहीं चाहते हैं तो सुविधा मुफ़्त है, जैसा कि पहले हुआ करता था। यानी आप 5 साल से छोटे बच्चों को अपनी गोद में बिठाकर सफर करना चाहते हैं तो आपके बच्चों का कोई टिकट नहीं लगने वाला।