Thursday, June 12, 2025
उत्तराखंड

उत्तराखंड भाजपा के जबरिया रिटायर्ड नेता, राजनीतिक भविष्य पर खड़े गंभीर सवाल

हाशिये पर गये या धकेले गये? अमित शाह मोदी रिजीम में मुरली मनोहर जोशी, लाल कृष्ण आडवाणी जैसे नाम घर बिठाये गये मगर ये नाम बड़े थे, दिल्ली से लेकर तमाम राज्यों में ऐसे भतरे नाम है जिन्हें समय से पहले भाजपा नेतृत्व ने साइड लाइन किया है, आज की चर्चा उत्तराखंड भाजपा के ऐसे ही जबरिया रिटायर्ड नेताओं पर जिन्हें पार्टी ने अलग-अलग कारणों से लगभग पैदल कर दिया है।
थमनेल में दिख रहे चेहरे उत्तराखंड भाजपा के लिये कभी खेवनहार रहे। फिर चाहे पूर्व सीएम विजय बहुगुणा हों, डॉ,रमेश पोखरियाल निशंक हों, पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत हों, या फिर विधायक बिशन सिंह चुफाल हों, बंशीधर भगत हों, मदन कौशिक हों या फिर अरविंद पांडे। इन सभी नेताओं को पार्टी नेतृत्व ने किसी न किसी कारण के चलते हाशिये पर धकेल दिया है।
पार्टी द्वारा हाशिये पर धकेले गये नेताओं में पहला नाम है पूर्व सीएम विजय बहुगुणा का- 77 साल कांग्रेसी गोत्र है बहुगुणा का लेकिन 2016 कांग्रेस की सरकार गिराने का बड़ा बलिदान देकर भाजपा में आये थे, बेटे को भलेही मंत्री बना दिया गया मगर कमसेकम किसी राज्य का राज्यपाल बनने की चाह तो बहुगुणा अभी भी पाले हुये हैं, मगर भाजपा है कि उनके बारे में सोच ही नहीं रही।
दूसरा नाम है पूर्व सीएम डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक, 65 वर्ष केन्द्र में मंत्री रहे एक झटके में हटाये गये, फिर टिकट भी कटा अब पैदल हैं, प्रदेश अध्यक्ष के लिये नाम चलता है, मगर हुआ कुछ न हीं है।
तीसरा नाम है, पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत, 60 वर्ष तीरथ सिंह रावत तो भाजपा के ऐसे नेता निकले जिनके साथ पार्टी ने गजब के प्रयोग कर दिये, उन्हें पता ही नहीं चला कब सीएम बने कब हटाये गये, कब टिकट कटा, अब दोनों हाथ खाली हैं।
चौथा नाम है बिशन सिंह चुफाल, 69 वर्ष कुछ समय के लिये मंत्री बने दूसरा कार्यकाल मिलने की उम्मीद थी, वो भी निकल गई, कैबिनेट विस्तार हो नहीं रहा, वरिष्ठ नेता इस वक्त अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
मदन कौशिक 59 वर्ष भी ऐसे ही पैदल कर दिये गये नेताओं में शामिल हैं, भाजपा पिछले कार्यकाल में मंत्री रहे, फिर हटाये गये, प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये वहां से भी हटाये गये, अब हाथ उनके भी खाली हैं, आगे क्या भविष्य उनका भी अंडर द शैडो ही नजर आ रहा है।
बंशीधर भगत 74 वर्ष की भी कहानी मदद कौशिक की तरह है, मंत्री कुछ समय, अध्यक्ष फिर घर बिठा दिये गये।
अरविंद पांडे 53 साल, के साथ भी यही हुआ है, मंत्री मंडल में शामिल नहीं किया गया, पार्टी का एक धड़ा उनके खिलाफ साजिश रच रहा है, खुद उन्होंने इस बात का खुलासा किया है, यहां पार्टी के इस कथित ताकत द्वारा उन्हें विधायक के तौर पर देखना भी दूभर हो रहा है।
इन नेताओं का राजनीतिक भविष्य अब आगे क्या होने वाला है? तब जब पीछे से भाजपा में युवा और नये चेहरों की भीड़ खड़ी है। पार्टी भी नये चेहरों को तरजीह देती दिख रही है, यहां तक कि राज्य के मुखिया की कुर्सी भी युवा पुष्कर सिंह धामी को सौंपी गई है।
ये नाम तो पहली पंक्ति पर मौजूद नेताओं के हैं, अभी तो दूसरी पंक्ति के भी कई नेता ऐसे हैं जो विधायक, सांसद, मेयर, पंचायत, निकाय अध्यक्ष के टिकट का इंतजार करते करते साइड लाइन किये जा चुके हैं।

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