मशहूर सिंगर भूपिंदर सिंह पंचतत्व में विलीन, 82 वर्ष की उम्र में हुआ निधन
मशहूर सिंगर भूपिन्दर सिंह का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वो 82 साल के थे। उन्हें पेट से संबंधित बीमारी थी। भूपिंदर को 10 दिन पहले अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उनके पेट में इंफेक्शन था। इसी दौरान उन्हें कोरोना भी हो गया। सोमवार सुबह उनकी हालत बिगड़ गई। उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। इस दौरान उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ और शाम 7.45 बजे मुंबई के निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली।
भूपिन्दर का जन्म पंजाब की पटियाला रियासत में 6 फरवरी 1940 को हुआ था। उनके पिता प्रोफेसर नत्था सिंह खुद भी बहुत अच्छे संगीतकार थे। मशहूर गीतकार और फिल्मकार गुलजार के पसंदीदा गायकों में शुमार भूपिंदर ने अमूमन उनकी हर फिल्म के लिए अपनी मखमली आवाज दी। सुरेश वाडेकर के साथ गाया उनका मशहूर गीत, ‘हुजूर इस कदर भी न इतरा के चलिए’ आज भी महफिलों की जान होता है। 1980 के दशक में भूपिंदर सिंह ने बांग्लादेश की हिंदू गायिका मिताली मुखर्जी से शादी की थी।
करोगे याद तो हर बात याद आएगी और कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता… उनके सुपरहिट सॉन्ग्स रहे। भूपिन्दर को मौसम, सत्ते पे सत्ता, आहिस्ता-आहिस्ता, दूरियां, हकीकत और कई अन्य फिल्मों में उनके यादगार गीतों के लिए याद किया जाता है। उनके कुछ मशहूर गीत- होके मजबूर मुझे, उसने भुलाया होगा… दिल ढूंढता है… दुकी पे दुकी हो या सत्ते पे सत्ता… से बॉलीवुड और संगीत की दुनिया में पहचान मिली।
दिल ढूंढता है…दो दिवाने इस शहर में…नाम गुम जायेगा…करोगे याद तो…मीठे बोल बोले…कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता…किसी नजर को तेरा इन्तजार आज भी है… दरो-दीवार पे हसरत से नजर करते हैं…खुश रहो अहले-वतन हम तो सफर करते हैं। गुलजार साहब ने एक बार कहा था- भूपिंदर की आवाज ऐसी है, जैसे किसी पहाड़ी से टकराने वाली बारिश की बूंदें। वो तन और मन को तरोताजा कर देती है। उनकी मखमली आवाज आत्मा तक सीधे पहुंचती है। आज ये आवाज हमेशा हमेशा के लिये अमर हो गई, कल देर रात ही भूपिन्दर सिंह का मुंबई में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके निधन पर तमाम फिल्मी हस्तियों के साथ राजनीतिक-गैर राजनीतिक और उनके करोड़ों चाहने वालों ने गहरा शोक प्रकट किया है।