उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का देवस्थानम बोर्ड को लेकर फिर एक बयान सामने आया है। पूर्व सीएम का यह बयान भी पुराने बयानों की तरह ही सुर्खियों में आ गया है। पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस बार एक कदम आगे बढ़कर अपने द्वारा लिये गये देवस्थानम बोर्ड के फैसले को सही करार देने की कोशिश की है। उन्होंने इस बार सीधे चारधामों की कमाई को निशाना बनाया है। और कहा है कि जब देश के बाकी बड़े मंदिरों की कमाई विकास और जनसेवा के कामों में आ सकती है तो उत्तराखण्ड में मौजूद चार धामों की क्यों नहीं। पूर्व सीएम ने कहा भविष्य बदरी के दर पर खड़ा हूं झूठ नहीं बोलूंगा, मेरा फैसला 10 साल समझ में आयेगा।
आप को बता दें कि मुख्यमंत्री रहते हुये त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बेहतर प्रबंधन का हवाला देते हुये देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। क्योंकि देश के दूसरे बड़े मंदिर भी इसी तरह के प्रबंधन के तहत काम करते हैं। इससे मंदिरों की होने वाली सालाना कमाई का उपयोग तीर्थ स्थानों के विकास और दूसरी सुविधाओं को विकसित करने में किया जाएगा। लेकिन सरकार के इस फैसले का चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों और हकहकूकधारियों ने जबर्दस्त विरोध किया। तीर्थ पुरोहितों का ये विरोध आज भी जारी है। सरकार देवस्थानम बोर्ड भंग करेगी या नहीं इसका कोई इशारा नहीं मिला है। सरकार इस मामले को धीरे-धीरे शांत करना चाहती है लेकिन पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत हर बार कोई न कोई बयान देकर माहौल गर्मा देते हैं।