द्रौपदी डांडा चोटी के बेस कैंप 1 पर एवलॉन्च की चपेट में आये पर्वतारोहियों की खोजबीन तीसरे दिन भी जारी है। इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में आयुसेना युद्व स्तर पर रैस्क्यू ऑपरेशन चला रही है। मगर अभी तक बर्फ में दबे पर्वतारोहियों तक नहीं पहुंचा जा सका है। अभी भी 26 पर्वतारोही लापता चल रहे हैं। रैस्क्यू के दौरान 10 शव खोजे गये थे जिसमें से अब तक चार पर्वतारोहियों के शव निकाले जा चुके हैं। लापता लोगों में हिमाचल प्रदेश के एक लेफ्टिनेंट कर्नल भी शामिल हैं।
आपको बता दें कि 58 पर्वतारोहियों का दल बीते मंगलवार को सुबह एवलॉन्च की चपेट में आ गया था। सूचना पर वायुसेना ने रेस्क्यू अभियान चलाकर 14 लोगों को बचा लिया और 28 लोग लापता थे। वहीं, दूसरे दिन यानी कल फिर से रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया। इस दौरान निम के एक प्रशिक्षक समेत छह प्रशिक्षु पर्वतारोहियों को सुरक्षित निकाला गया। उन्हें मातली हेलीपैड से उपचार के लिए अस्पताल भेज दिया गया है। इस हादसे में एवरेस्ट विजेता पर्वतारोही सविता कंसवाल की भी मौत हो गई। सविता ने इसी साल मई माह में 15 दिन के अंदर एवरेस्ट और माउंट मकालू पर्वतों पर सफल आरोहण कर नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम किया था।
द्रोपदी का डांडा पर्वत को पर्वतारोहण के एडवांस कोर्स के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। यहां एवलांच या अन्य ऐसी घटनाओं की आशंका ना के बराबर रहती है। इसलिए निम पर्वतारोहण के एडवांस कोर्स के लिए इस पर्वत का ही उपयोग करता है। मगर इस बार नियती कुछ और ही चाहती थी, मौसम में आये अजीब बदलाव से इस बार हिमालय में अलग-अलग जगह आये दिन एवलॉन्च की घटना घट रही है। और ऐसी ही एक घटना के निम के पर्वतारोही भी शिकार हुये हैं।