अस्पताल में डॉक्टरों ने निकाल दी महिला की एक किडनी, पुलिस ने दर्ज किया मामला
पेट की बीमारी का इलाज करवाने अस्पताल पहुंची थी महिला… ऑपरेशन हुआ, अस्पताल ने दवा देकर घर भेज दिया, पांच साल बाद अल्ट्रासाउंड से पता चला पेट से एक किडनी ही गायब है, जी हां ये हैरतअंगेज मामला मेठर में सामने आया है। जहां बुलंदशहर निवासी 43 वर्षीय कविता ने मेरठ के बागपत रोड स्थित केएमसी हॉस्पिटल पर गंभीर आरोप लगाये हैं।
महिला की अर्जी के बाद अदालत ने बकायता अस्पताल के छह डॉक्टरों समेत मेडिकल स्टाफ के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिये हैं। जिसके बाद मेरठ पुलिस ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
पीड़िता के मुताबिक 20 मई 2017 को वो पेट की तकलीफ के चलते केएमसी अस्पताल में भर्ती हुई। अस्पताल में उसी दिन उनका आपरेशन कर दिया गया। 24 मई 2017 को पीड़िता को ये बताकर छुट्टी दी गई कि उनकी दोनों किडनी का इलाज हो गया है। अब उन्हें दो-तीन साल तक दवा खानी होगी। चिकित्सक की सलाह पर वो 2022 तक दवा खाती रहीं।
इसके बाद पीड़िता की तबीयत दिनबदिन बिगड़ती चली गई। पेरशान होकर पीड़िता ने फिर एक बार अल्ट्रासाउंड करवाया। और जब अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट आई तो महिला के पैरों तले जमीन खिसक गई। पता चला कि महिला के पेट में एक किडनी है नहीं, उसे निकाला जा चुका है।
इसके बाद पीड़िता ने पुलिस को शिकायत की मगर कोई कार्यवाई नहीं हुई। थक हार महिला ने अदालत की शरण ली। जिसके बाद अदालत ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिये।
आखिरकार पुलिस ने न्यायालय के आदेश पर डॉक्टर सुनील गुप्ता, डॉक्टर अजय एन वत्स, डॉक्टर सीमा वार्ष्णेय, डॉक्टर प्रतिभा गुप्ता, डॉक्टर निकिता जग्गी, डॉक्टर सतीश कुमार अरोरा और एक अज्ञात कर्मचारी के खिलाफ मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम-1994 की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
इधर केएमसी अस्पताल के निदेशक डा. सुनील गुप्ता का कहना है कि 2023 में मरीज के वकील ने गुर्दा निकालने का नोटिस भेजा था। उसकी एवज में उनसे रकम की मांग की गई। इनकार करने के बाद डेढ़ साल से कंज्यूमर कोर्ट में मामला चल रहा है। मेरठ से केस गाजियाबाद स्थानांतरित हो चुका है और 21 मार्च सुनवाई की तिथि लगी है। लेकिन इस बीच उनके खिलाफ इसी प्रकरण में मुकदमे दर्ज किये गये हैं।