पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए छोटी बड़ी सभी कंपनियों और संस्थानों को सुझाव दिया था कि वो अपने कर्मचारियों का कोरोना संकट में पूरा साथ दें….इस दौरान खास तौर पर कहा था कि वो अपने कर्मचारियों को नौकरी से न निकाले और तनख्वाह भी देने की अपील खुद पीएम मोदी ने लगातार की थी। इसके बाद देश भर के लाखों कर्मचारियों को उम्मीद जगी थी कि प्राइवेट कंपनियां इस अपील को मानेंगी लेकिन लगता है दिल्ली से की गई इस संवेदनशील अपील का पड़ोसी ज़िले नोएडा में ही कोई फर्क नहीं पड़ा है क्योंकि देश की प्रतिष्टित कंपनी डीएलएफ प्रधानमंत्री की अपील को दरकिनार कर मनमाना रवैया अपना रही है। डीएलएफ कंपनी ने सरकार की मानवीय गुज़ारिश को ठेंगा दिखाते हुए न सिर्फ अपने परेशान कर्मचारियों के संग मुसीबत के समय धोखा किया है बल्कि सैकड़ों परिवारों को मंझधार में अकेला छोड़ दिया है।
जय भीम टीवी को मिली जानकारी के मुताबिक नोएडा के सेक्टर 18 में सरफेस पार्किंग और मल्टीलेवल पार्किंग का ठेका मैक इंटरनेशनल फैसिलिटी मैनेजमेंट कंपनी को खुद डीएलएफ कंपनी ने छह साल के लिए दिया था लेकिन कोरोना संकट के दौरान दिसंबर से अब तक कोई भुगतान नहीं किया गया है जिससे सैकड़ों परिवारों पर भुखमरी की आफत आ गयी है। लोक डाउन के दौरान दाने दाने को मोहताज़ हो गए इस कंपनी से जुड़े एक सौ पचहत्तर परिवारों का आज बुरा हाल है न काम हैं पैसा और बीते कई महीने का बकाया भी कंपनी नहीं दे रही है। आलम ये है कि जब भी ये प्रभावित परिवार अपने खुनपसीने की कमाई मांगते हैं तो धोखेबाज कंपनी डीएलएफ टालमटोल कर रही है जिसका खामियाजा एक सौ पचहत्तर परिवारों को भुगतना पड़ रहा है।
आलम तो ये है कि अब केंद्र सरकार की अपील को अनसुना करते हुए डीएलएफ कंपनी ने इन 175 मजबूर परिवारों को बेरोज़गार करने का फरमान भी सुना दिया है।अब ये परिवार सरकार से गुजारिश कर रहा हैं की ज़िन्दगी के इस मोड़ पर किस तरह आगे बढ़े क्योंकि जिस कंपनी ने उन्हें रोजीरोटी देने का वादा किया था वो आज खुद इनके लिए मुसीबत खड़ी कर रही है।