Friday, April 26, 2024
उत्तराखंड

नकल के खिलाफ धामी सरकार ला रही है नया कानून, गैरजमानती होगा नकल का जुर्म

एक के बाद एक भर्ती घोटालों को अंजाम देकर उत्तराखण्ड की देशभर में छीछालेदर कराने वाले नकल माफियोओं के खिलाफ धामी सरकार ने आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है। इसके लिये सरकार ने सबसे पहले एक कड़ा कानून तैयार कर लिया है। इस कानून को राज्य के आयोग, बोर्ड, परिषद और विश्वविद्यालय की ओर से होने वाली भर्ती परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए लागू किया जा रहा है। सरकार ने कानून का मसविदा तैयार कर लिया है और आगामी विधानसभा सत्र के दौरान सरकार इसे सदन के पटल पर रखने की तैयारी में है। इसे ‘उत्तराखंड सरकारी सेवाओं में नकल निषेध अधिनियम 2022’ का नाम दिया गया है। शासन स्तर पर हुई बैठक में इस अधिनियम के सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा के बाद सहमति बन गई है। कानून में उम्मीदवारों, परीक्षा कराने वाली संस्थाओं और नकल माफियाओं के लिए सजा के अलग-अलग प्रावधान किये गये हैं।
अभी तक पेपर लीक का कोई भी मामला प्रकाश में आने के बाद उत्तराखंड के नकल रोधी कानून के तहत आरोपियों पर आईपीसी की धारा 420, 120 बी या हाईटेक नकल होने पर आईटी एक्ट में ही मुकदमे दर्ज होते हैं। कमजोर धाराओं का फायदा उठाकर आरोपी न केवल जमानत पर छूटते हैं बल्कि उनको सजा का भी कोई डर नहीं है क्योंकि सजा बेहद कम है।
अब आपको बताते हैं कि नये कानून के लागू होने के बाद क्या होगा-
– नकल में शामिल अभ्यर्थियों पर जुर्माने के साथ ही दो से तीन साल की सजा और परीक्षाओं से दो साल तक डिबार करना।
– संस्था की पेपर लीक में भूमिका होने पर भारी भरकम जुर्माना और पांच से सात साल तक की सजा।
– नकल माफिया या गिरोह की भूमिका पर दस साल तक सजा के अलावा संपत्ति कुर्क और दस लाख तक जुर्माना।
– नकल को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध मानकर इसकी जांच एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी ही करेंगे। यानी नकल माफियाओं को जमानत नहीं मिलेगी।
आपको याद होना चाहिए कि प्रदेश में नकल निषेध का कोई सख्त कानून न होने की वजह से अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्तियों में पेपर लीक के 42 आरोपियों में से 18 की जमानत हो चुकी है। लिहाजा उत्तराखंड सरकार प्रदेश में पहली बार सख्त नकल निषेध कानून लाने जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *