उत्तराखंड के 8 आईपीएस अधिकारियों का डेपुटेशन मामला उलझा, गृह विभाग फिर जुटा माथापच्ची में
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह बुला रहे हैं मगर सीएम धामी के आईपीएस अधिकारी डेपुटेशन में जाना नहीं चाहते हैं,
जी हां इस वक्त उत्तराखंड सरकार के गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों में जबर्दस्त गतिरोध चल रहा है।
मामला राज्य के 8 आईपीएस अधिकारियों की केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति का है। जिसे लेकर उत्तराखंड आईपीएस कैडर में संग्राम छिड़ा हुआ है। केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के लिये जिन आठ आईपीएस के नाम आये हैं, उनमें से कई अधिकारियों ने डेपुटेशन का आवेदन ही नहीं किया था।
और केन्द्र सरकार ने राज्य से बैचवार 1995 से 2006 के बीच के आईपीएस अधिकारियों से जुड़ी विजिलेंस क्लियरेंस मांगी थी मगर गृह विभाग ने 2006 को गायब कर 2007 के चार अधिकारियों के नाम इम्पैनलमेंट के लिये भेज दिये।
मामला बेहद पेंचीदा हो चुका है हालांकि गृह विभाग इस मामले की पड़ताल में जुट गया है।
इधर जिन 8 आईपीएस अधिकारियों को दिल्ली से बुलावा आया है, सूत्रों की मानें तो उनमें से 4 से 5 अधिकारी जाना ही नहीं चाहते।
इनमें आईजी नीरू गर्ग को (बीपीआर एंड डी),
आईजी राजीव स्वरूप को (बीएसएफ),
आईजी मुख्तार मोहसिन को सीआरपीएफ,
आईजी अरुण मोहन जोशी को बीएसएफ,
डीआईजी जन्मेजय खंडूरी को (एनसीआरबी),
डीआईजी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस को (सीआईएसएफ),
डीआईजी बरिंदरजीत सिंह को आईटीबीपी और
डीआईजी पी रेणुका देवी को सीबीआई में प्रतिनियुक्ति के लिए आदेश हुए हैं।
इस बीच बताया ये भी जा रहा है केन्द्रीय गृह मंत्री का भी एक पत्र सरकार को मिला है जिसमें उन्होंने आईपीएस अधिकारियों को डेपुटेशन में भेजने की बात कही है। मगर मामला अभी फंसा हुआ है।