Tuesday, April 23, 2024
उत्तराखंड

जोशीमठ के बाद देहरादून की बारी! देहरादून में बड़े भूकंप का खतरा

जोशीमठ की मैन मेड आपदा भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील देहरादून के लिये चेतावनी से कम नहीं है। क्योंकि, यहां भूकंप की चेतावनी को अनदेखा कर गनचुम्बी कंक्रीट के जंगल खड़े कर दिये गये हैं। दूनघाटी पर्यावरणीय और भौगोलिक दोनों लिहाज से संवेदनशील है। यही कारण है कि भवनों की ऊंचाई के मानक फुटहिल क्षेत्रों के लिए अलग बनाए गए हैं। ये बात और है कि सिर्फ लैंडयूज और बिल्डिंग बायलाज तक खुद को सीमित रखने वाला मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) भूकंप के लिहाज से संवेदनशील नजर नहीं आता।
एमडीडीए ने वर्ष 2015 में अपने बिल्डिंग बायलाज में प्रविधान किया था कि 30 डिग्री और इससे अधिक ढाल पर भवन निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। भवनों की अधिकतम ऊंचाई को 30 मीटर से घटाकर 21 मीटर भी कर दिया गया है। हालांकि, इस नियम के प्रति अधिकारी सुस्त बने रहे। यही कारण है कि तमाम फुटहिल क्षेत्रों में पहाड़ी को काटकर समतल कर निर्माण किया जाता रहा। मसूरी रोड, पुरकुल, कैरवान गांव, बिधौली समेत तमाम क्षेत्रों में बहुमंजिला निर्माण इस अनदेखी की कहानी बयां करते हैं।
चलिये अब आपको बताते हैं कि आखिर क्यों देहरादून के लिये खतरा बढ़ता जा रहा है। कुछ समय पहले वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के अध्ययन में खुलासा हुआ कि यहां एक करोड़ साल पुराना भूकंपीय फॉल्ट सक्रिय स्थिति में मिला है। जिससे वैज्ञानिक सकते में हैं। बता दें कि शहरी इलाका जोन चार और पर्वतीय क्षेत्र जोन पांच में है। यहां के पर्वतीय क्षेत्रों में अक्सर भूकंप के झटके लोगों के दिलों में दहशत कर जाते हैं। भूकंपीय फॉल्ट सक्रिय होने से भूगर्भ में कितनी ऊर्जा संचित हो गई होगी, इसका अंदाजा वैज्ञानिकों को भी नहीं है। ये ऊर्जा विशाल भूकंप के रूप बाहर आ सकती है। लेकिन ये कब बाहर आएगी इसका जवाब फिलहाल वैज्ञानिकों के पास नहीं है। डारने वाली खबर ये है कि एक अहम फॉल्ट उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के शहंशाही आश्रम क्षेत्र में है और इसे शहंशाही आश्रम फॉल्ट या मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) भी कहा जाता है। शहंशाही आश्रम के फॉल्ट जैसी सक्रियता मोहंड के फॉल्ट में भी नजर आ रही है। करीब पांच लाख साल तक पुराने इस फॉल्ट को हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट (एचएफटी) भी कहा जाता है। यानी खतरा बड़ा है और देहरादून के नीति नियंताओं ने आंखें मूंद रखी हैं, ईश्वर न करे कभी भूकंप अपनी दस्तक दे जाए, वरना जो कंक्रीट की उंची इमारतें नजर आ रही हैं वो तबाही के लिये तैयार खड़ी हैं।

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