Thursday, June 12, 2025
उत्तराखंड

क्रिकेट, बॉलीवुड और पॉलिटिक्स, वो कॉकटेल जो छलकता है सट्टा बाजार में

दुबई में बीते दिन हुये भारत और न्यूजीलैंड के फाइनल मुकाबले में 5 हजार करोड़ का सट्टा लगने और इस सबके पीछे डी कंपनी का हाथ होने की बात सामने आई है। इस सनसनीखेज खुलासे के बाद लोगों के कान खड़े हो गये। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि अंडरवर्ल्ड के इशारे पर चल रहे इस सट्टाबाजार के मोहरे भारत के लोग हैं जो यहीं हमारी जमीन में बैठकर इनके लिये काम कर रहे हैं।
आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ये सट्टाबाजार चलता कैसे है? इसमें पैसे का खेल होता कैसे है, इसमें शामिल कौन है और वो लोग किस स्तर के हैं। यानी क्रिकेट की चमक, बॉलीवुड की दमक और राजनीति की खनक जिसने सट्टाबाजार को घर-घर पहुंचा दिया है।
सबसे पहले बात सट्टाबाजार की।
वैसे तो हर चीज में सट्टा खेला और खिलाया जाता है, मगर आज हम बात कर रहे हैं क्रिकेट की।
एक दौर था जब फोन पर सट्टे लगा करते थे, बदलते दौरे में लोगों के हाथ में स्मार्ट फोन आये तो इधर सट्टाबाजार भी हाईटैक हो गया। सटोरिये सट्टे के लिये एप बनाने लगे और आज केवल भारत में ही सट्टे के सैंकड़ों एप मौजूद हैं। जिन पर हर दिन अरबों का काला कारोबार होता है।
कहा जाता है कि दुबई में बैठी डी कंपनी इस सट्टाबाजार को कंट्रोल करती है, और उसकी देखरेख में कई लोग सट्टे के एप तैयार करते हैं। और भारत जैसे देश में जहां सट्टे का कारोबार लगभग अपनी जड़े जमा चुका है, यहां अलग अलग शहरों में अपने एजेंट बिठा दिये जाते हैं। सट्टे के नाम पर इनसे एप बनाने वाला पहले ही 20 फीसदी पैसा वसूल लेता है। इसके बाद अलग-अलग शहरों में बैठे एजेंट लोगों को एप की आईडी बेचते हैं, जीतने पर उन्हें हवाला के जरिये पैसे दे दिये जाते हैं और हारने पर एजेंट उनसे पैसा बना लेता है।
स्काई एक्सचेंज, पेरी पेरी, बैठ 365, गेमिंग एक्सचेंज का नाम आपने सुना ही होगा। अगर नहीं तो महादेव एप का जरूर सुना होगा, महादेव एप भी सट्टा बाजार से जुड़ा नामी एप है।
हाल ही में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भुपेश बघेल का नाम इस मामले से जुड़ा है, इसीलिये इस बाजार में राजनीति का दखल बताने के लिये काफी है।
इसी तरह बॉलीवुड की भी कई बड़ी हस्तियों के नाम सट्टाबाजार में उठते रहे हैं, यहां तक कि क्रिकेट में खिलाड़ियों के सलेक्सन में भी बॉलीवुड की पावर कई बार जग जाहिर हो चुकी है।
क्रिकेट की बात करें तो मैच फिक्सिंग, स्पॉट फिक्सिंग जैसे नाम आपने कई बार सुने होंगे। सट्टाबाजर से क्रिकेट का यही संबंध है। भारत को छोड़ दे तो आज दुनियाभर में हर दिन कहीं न कहीं कोई ने कोई क्रिकेट लीग हो रही होती है और उसमें फिक्सिंग के मामले उठते रहे हैं।
अब सवाल है कि सट्टा कारोबार में दुबई का क्या रोल है। इसका जवाब ये है कि दुबई मौजूदा समय में क्रिकेट का पावर सेंटर बनाता जा रहा है। हर छोटी-बड़ी क्रिकेट लीग या इंटरनेशन मैच के लिये दुबई हर किसी की पहली पंसद बनता जा रहा है। और डी कंपनी का वहां दखल है, समझा जा सकता है कि सट्टाबाजार के लिये ये हालात किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
बीते दिन दुबई में सट्टाबाजार का जो खुलासा हुआ। वो तो आटे में एक चुटकी के बाराबर है। कहा जा रहा है कि भारत-न्यूजीलेंड के फाइनल में 5 हजार करोड़ का सट्टा लगा मगर हकीकत ये बताई जा रही है कि इस सिंगल मैच में ही 1 लाख करोड़ से उपर का सट्टाकारोबार हुआ है।
जिन आरोपियों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है, वो भारत में मौजूद थे। यानी सट्टा माफियाओं के एजेंट। जो इस समंदर की बेहद छोटी मछलियां हैं, असली सार्क तो दुबई में आराम फरमा रहे हैं।
परवीन कोचर और संजय कुमार तो एजेंट हैं जिन्हें भारत-ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल मैच पर सट्टा लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। दरअसल इन्हीं से इस पूरे खेल में अंडरवर्ल्ड के दखल का पता चला है। इसके अलावा तीन अन्य गिरफ्तार हुये मनीष साहनी, योगेश कुकेजा और सूरज भी दुबई में बैठे लोगों के पैदा किये एजेंट हैं।
अब सवाल है कि दुबई में बैठी ये सार्कें हैं कौन? इनमें एक नाम है छोटू बंसल का। छोटू बंसल ने कनाडा में एक सट्टेबाजी ऐप बनाया था। वो अब दुबई में रह रहा है। जो मूल रूप से दिल्ली का ही रहने वाला है। इसके अलावा बाबी, गोलू, नितिन जैन और जीतू ये वो नाम हैं जो इस वक्त दुबई में हैं और भारत के सट्टाबाजार को कंट्रोल कर रहे हैं। और इन सबको संरक्षण प्राप्त है दाउद इब्राहिम की डी कंपनी का।
क्या दिल्ली पुलिस इस बार इस नैक्सेस को तोड़ पाएगी? क्या असल गुनेहगार दुबई से घसीटकर भारत लाये जा सकेंगे? क्या भारत में अपनी जड़े जमा चुका सट्टाबाजार ध्वस्त हो पाएगा? इन तमान सवालों का जवाब मिलना अभी बाकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *