Thursday, April 25, 2024
उत्तर प्रदेश

42 साल बाद आया कोर्ट का फैसला, 90 साल के बुजुर्ग को हुई उम्रकैद की सजा

कहा जाता है कि जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड यानी देर से मिला न्याय न्याय नहीं कहलाता। लेकिन साथ में ये भी कहा जाता है कि जस्टिस हरिड इज जस्टिस बेरिड यानी जल्दबाजी में मिला न्याय भी न्याय नहीं होता। यानी सही समय पर मिला न्याय ही असल मायने में न्याय है।
इसी तरह के मामले में फिरोजाबाद की अदालत का एक फैसला न्याय के समय को लेकर इस समय सुर्खियों में है। क्योंकि यहां न्याय देर बहुत देर बाद मिला है। मामला है 1981 में शिकोहाबाद थाना क्षेत्र में हुये दलित समुदाय के 10 लोगों की हत्या का। इस हत्याकांड में 42 साल बाद फिरोजाबाद की जिला अदालत ने अब जाकर सजा सुनाई है। यहां जस्टिस इतना डिलेड हो गया कि 9 दोषियों की तो मौत भी हो चुकी है और जो एक मात्र दोषी बचा था उसकी उम्र जानकार आपके होश उड़ जाएंगे इस हत्याकांड के जीवित एक मात्र दोषी की उम्र 90 साल। 90 साल की उम्र में उसे अब जाकर उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। सजा पाने वाले बुजुर्ग का नाम गंगादयाल है। उम्रकैद की सजा पाए बुजुर्ग की हालत ऐसी है कि वो खुद अपने पैरों में खड़ा नहीं हो सकता। उसे चलने के लिये भी सहारा चाहिए। जीवन के अंतिम दिन गिन रहे इस बुजुर्ग को करनी का ऐसा फल मिला कि अब अंतिम सांस भी जेल में ही लेनी होगी। बुजुर्ग को 90 साल की उम्र में मिली उम्रकैद का ये मामला अब सोशल मीडिया पर सुर्खियों में है। जिन निर्दोष लोगों की हत्या हुई उनके परिवार को न्याय अब जाकर मिला है और सजा पाने वाला व्यक्ति खुद आखिरी सांसे गिन रहा है। लिहाजा लोग यही कह रहे हैं जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड।

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