गुजरात में बनेगा देश का पहला सहकारिता विश्वविद्यालय, बदल जाएगी सहकारिता की तस्वीर
लोकसभा से देश के पहले सहकारी विश्वविद्यालय ‘त्रिभुवन’ को हरी झंडी मिल गई। सदन से सहकारी विश्वविद्यालय बिल-2025 पास हो गया है। दरअसल, गुजरात के आणंद जिला स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट (IRMA) को ही सहकारिता विश्वविद्यालय बनाया जा रहा है। IRMA देश में सहकारिता की पढ़ाई करवाने वाला सबसे बड़ा संस्थान बन जाएगा। इसके सहकारिता विश्चविद्यालय बनते ही पुणे स्थित वैमनीकॉम (वैकुंठ मेहता नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कोऑपरेटिव मैनेजमेंट) सेंटर ऑफ एक्सीलेंस हो जाएगा, जो इसी यूनिवर्सिटी के तहत काम करेगा। जबकि आज और कल में राज्यसभा से भी बिल को मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
इफको के चेयरमैन दिलीप संघाणी ने सहकारिता विश्वविद्यालय मिलने के बाद सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा की ये हर्ष का विषय है कि देश को पहला सहकारिता विश्वविद्यालय मिलने जा रहा है। जो गुजरात में स्थापित किया जा रहा है।
क्या होगा फायदा?
IRMA को सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान माना जाएगा। यहां सहकारी क्षेत्र की तकनीकी, मैनेजमेंट शिक्षा और ट्रेनिंग दी जाएगी। सहकारी रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा।
इस विश्वविद्यालय के बनने से सहकारी पेशेवरों को इनोवेशन और दक्षता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
सहकारी क्षेत्र भारत की सामाजिक-आर्थिक संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करता है। इसे और मजबूती मिलेगी।
इस विश्वविद्यालय का एक अन्य प्रमुख उद्देश्य भारत में सहकारी शिक्षा का मानकीकरण करना है।
वर्तमान में, सहकारी ट्रेनिंग असंगठित है और इसमें एकरूपता की कमी है. डेयरी, मत्स्य, कृषि, बैंकिंग और मार्केटिंग जैसे विभिन्न सहकारी क्षेत्रों में डिप्लोमा, डिग्री और प्रमाणन कार्यक्रमों की पेशकश करके, विश्वविद्यालय सहकारी शिक्षा को व्यवस्थित करेगा।
यह अंतर्राष्ट्रीय सहकारी संगठनों के साथ सहयोग करेगा और विश्व में सहकारिता की बेस्ट प्रैक्टिस को बढ़ावा देगा।
त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय एक केंद्रीय संस्थान के रूप में कार्य करेगा, जो आईसीएआर केंद्र, कृषि विज्ञान केंद्र, सीएसआईआर संस्थान, स्वास्थ्य-संबंधित संस्थान और अन्य विश्वविद्यालयों के संसाधनों को इंटीग्रेट करेगा।
किसानों को क्या होगा फायदा
यह विश्वविद्यालय न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP से हटकर कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए सहकार बाजार तैयार करेगा।
किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मॉडल विकसित करेगा।
स्वास्थ्य संस्थानों के साथ समन्वय करके, विश्वविद्यालय ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल के लिए सहकारी मॉडल विकसित करेगा, जिससे सभी के लिए सुलभ और किफायती चिकित्सा सेवाओं की सुविधा मिलेगी।
इस विश्वविद्यालय का एक प्रमुख लक्ष्य राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना है, जिसमें किसानों और कारीगरों के आर्थिक अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है।