उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरू होने के साथ ही कई यात्रियों के ह्रदयाघात से जान गवाने की खबरें सामने आ रही हैं। वहीं कुछ मामले ऐसे भी सामने आएं है, जिनमें चारधाम यात्रा कर वापस लौट रहे व्यक्तियों की भी जाने जा रही है। सामान्य तौर पर यही सामने आ रहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित उत्तराखंड के चारों धाम में आक्सीजन की कमी व अन्य कारणों से हृदयाघात का खतरा बना रहता है। लेकिन, इस धारणा को बदला जाना चाहिए क्योंकि एक सप्ताह के दौरान पांच ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें श्रद्धालुओं ने चारोंधाम की यात्रा संपन्न कर ली, लेकिन मैदानी क्षेत्र में आने पर वह जान गवां बैठे। ऋषिकेश में सामने आए कई मामलों से पता चला है कि मौत का कारण शरीर का तापमान, जलवायु और वातावरण का स्वास्थ्य पर प्रभाव माना गया।
ऐसे में ऋषिकेश के चिकित्सक भी यही राय व्यक्त कर रहे हैं कि चारधाम से लौटने के बाद कम से कम दो दिन का आराम और संतुलित आहार ले। चिकित्सकों के अनुसार अत्याधिक ऊंचाई पर होने के कारण चारधाम का तापमान, वातावरण, सब-कुछ परिवर्तित हो जाता है और मनुष्य को कुछ समय लगता है कि वह वातावरण के अनुसार खुद के शरीर को तैयार कर सके। इसलिए यह जरूरी है कि यात्रा से लौटने के बाद भी स्वास्थ्य को लेकर सावधानी बरतें।