राजधानी में देर रात का खुलते बार, छलकते जाम और खून से सड़कें लाल
देहरादून….वो जगह जो अपनी शांत वादियों के लिये जानी जाती है… वो जगह जहां देश के जाने माने स्कूल, कॉलजे मौजूद हैं और जिसे एजुकेशन हब कहा जाता है… लेकिन इसी देहरादून की एक और छवि बनती जा रही है वो है देर रात तक अवैध रूप से संचालित होने वाले क्लब, बार… नशा, सुरूर इसके बाद बेपरवाह ड्राइविंग और खून से लाल सड़कें… यानी हादसों का शहर….
देहरादून को थाइलैंड बना देने वाले इन क्लब और बारों की हकीकत आपको बताएंगे पहले बात उन हादसों की कर लेते हैं जिनके चलते देहरादून की सड़कें लाल हो चुकी हैं।
वैसे तो देहरादून में सड़क हादसों का इतिहास डरावना है, लेकिन पिछले कुछ सालों में जिस तरह सड़क हादसों में युवाओं की जान गई है वो बेहद चिंताजनक है। बीते छह महीने की बात करें तो देहरादून में कई युवा असमय जान गंवा चुके हैं।
ताजा हादसा 12 नवंबर की सुबह 1.30 बजे देहरादून के ओएनजीसी चौक पर हुआ. जहां तेज रफ्तार कार में सवार 6 छात्रों की जिंदगी सड़क पर दम तोड़ गई. ये कार कंटेनर के पिछले हिस्से में टकराई थी. जिसमें इनोवा कार चकनाचूर हो गई. कार में 7 युवा सवार थे, जिनमें से 6 की मौके पर ही मौत हो गई. इसमें तीन छात्र और तीन छात्राएं शामिल थीं. जबकि, एक छात्र घायल हो गया. इन सभी की उम्र 19 से 24 साल के बीच है.
बीती 4 मई 2024 को मसूरी में झड़ी पानी रोड पर एक कार गहरी खाई में गिर गई थी. इस हादसे में कार सवार 5 छात्रों की मौत हो गई थी. जिसमें चार छात्र और एक छात्रा शामिल थे. इस हादसे में चार छात्रों की मौके पर ही जान चली गई थी. जबकि, दो छात्राओं को खाई से रेस्क्यू कर देहरादून हायर सेंटर भेजा गया, लेकिन उनमें से भी एक छात्रा की जान चली गई.
इस हादसे में भी जान गवाने वालों की उम्र 19 25 के बीच थी।
इस हादसे के बाद भी हादसों का सिलसिल नहीं थमा और 17 मई 2024 को देहरादून के अलग-अलग क्षेत्रों में हुये सड़क हादसों में चार युवकों की जान चली गई थी. जिसमें पहला हादसा प्रेमनगर के धूलकोट डाट काली मंदिर के पास हुआ था. जहां बाइक सवार तीन छात्र हादसे का शिकार हुये और दो की मौत हो गई।
इस हादसे में भी जान गवाने वाले छात्रों की उम्र 20 से 23 साल थी।
दूसरा हादसा बल्लीवाला फ्लाईओवर पर हुआ। जहां बाइक सवार एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हादसे का शिकार हो गए। इस हादसे में भी दो 22 और 23 वर्षीय छात्रों की मौत हो गई।
2 जुलाई को भी एक और हादसा हुआ था जो मसूरी रोड शिव मंदिर के पास हुआ था। जब चार युवाओं की कार खाई में गिर गई, इस हादसे में एक छात्रा की मौत हो गई। इस हादसे में जान गवाने वाली छात्रा की उम्र 20 साल थी, और बाकी घायल भी 23 साल से कम उम्र के थे।
7 अक्टूबर को मसूरी क्लाउड एंड के पास भद्रराज मंदिर मार्ग पर एक स्कूटी गहरी खाई में गिर गई। इस हादसे में भी 19 वर्षीय एक युवकी मौत हो गई।
ये वो हादसे हैं जो गुजरे छह महीने के भीतर हुई हैं और इन सभी हादसों में जान गवाने वाले युवाओं की उम्र महज 19 से 23 साल के बीच रही है।
अब बात देहरादून के उस बदलते कल्चर की जिसके चंगुल में फंसकर युवा अपनी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। देर रात तक बार में नशा परोसा जाता है और कई छात्र रात को घूमने के लिए सड़कों पर उतर जाते हैं। इसके बाद अक्सर देखा गया है कि छात्र ओवरस्पीड में वाहन चलाते हैं. कुछ नशा कर वाहन चलाते हैं तो कुछ स्टंट भी करने लगते हैं। जो हादसे का सबसे बड़ा कारण बन जाता है।
बीते दिन हुये हादसे के बाद जिला प्रशासन ने शहर के कुछ एक बार और क्लब में छापेमारी की, एक सील हुआ तो कुछ पर जुर्माना ठोका गया। ये वो बार थे जो रात 11 बजे के बाद भी अवैध रूप से खुले थे।
लेकिन राजपुर रोड के आस-पास ऐसे दर्जनों बार हैं जो आज भी सुबह 3 बजे तक खुले रहते हैं और धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। फेहरिस्त लंबी है अब चाहे प्ले बॉय हो, रोमियो लेन हो, रूमर्स हो या मायबार हेटक्वाटर्र हो, ऐसे और भी कई बार हैं जिनको लेकर लोगों की शिकायत है कि ये बार देर रात तक संचालित होते हैं।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को शिक्षा का हब भी कहा जाता है. यहां कई स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और कोचिंग संस्थान हैं. यही वजह है कि देश के विभिन्न राज्यों से छात्र यहां पढ़ने के लिए आते हैं, लेकिन कुछ छात्र लापरवाही की वजह से अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं, लेकिन इनमें ज्यादातर वो छात्र हैं नशे के चुंगल में आकर अपनी जिंदगी तबाह कर रहे हैं,
हादसों के बाद परिवार के प्रति हर किसी की संवेदना है, लेकिन आज माता-पिता को भी सोचना होगी कि अगर वो अपने बच्चों को देहरादून में पढ़ा रहे हैं तो याद रखें यहां नशे का कारोबार भी फल फूल रहा है, कहीं ये नशा आपके घर को न उजाड़ दे।