घपले-घोटालों का पर्याय बन चुका उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग फिर सुर्खियों में है। इस बार आयोग द्वारा कराई गई एक और भर्ती परीक्षा पर जांच बिठा दी गई है। ये 2018 हुई कनिष्ठ सहायक की वो भर्ती परीक्षा है जिसमें तब गड़बड़ी के आरोप पर जांच तो हुई मगर मिला कुछ नहीं। या कहें कि पुलिस की लीपापोती के चलते गुनेहगार बच निकले। 25 नवंबर 2018 को कनिष्ठ सहायक के 100 से ज्यादा पदों पर भर्ती परीक्षा हुई थी। लेकिन, विवाद होने पर इसकी जांच करवाई गई। इस दौरान दून की एक युवती की ओएमआर शीट में छेड़छाड़ की बात उजागर हुई। तब पुलिस जांच में सामने आया कि, आरोपियों ने आपराधिक साजिश रचकर युवती को लाभ पहुंचाने के लिए कूटरचना की। पुलिस जांच में पता चला कि ओएमआर शीट की प्रतियों में लगे गोलों में अंतर है। युवती ने कथित तौर पर 24 प्रश्न हल किए और वह इस परीक्षा में पहले नंबर पर आ गई। ओएमआर शीट में छेड़छाड़ की शुरूआती पुष्टि के बावजूद विवेचक ने दिसंबर 2021 में कोर्ट में एफआर दाखिल कर दी। महज इस आधार पर फाइल बंद कर दी गई थी कि सीसीटीवी फुटेज के आधार पर प्रथमदृष्यता दस्तावेजों में छेड़छाड़ की कोई संभावना प्रतीत नहीं होती है
लेकिन अब फिर से उत्तराखण्ड के डीजीपी के आदेश पर इस परीक्षा की जांच शुरू हो गई है। पुलिस जल्द परीक्षा की टॉपर से पूछताछ कर सकती है। यहां जांच टीम इस परीक्षा के दूसरे सफल अभ्यर्थियों को भी जांच के दायरे में ला सकती है।