देहरादून- देश अभी कोरोना महामारी से पूरी तरह उबर भी नहीं पाया है कि एक और घातक बीमारी ने भारत में दस्तक दे दी है। इस लाइलाज बीमारी ने केरल से लेकर असम और असम से लेकर समूचे उत्तर भारत को अपनी चपेट में ले लिया है। इस बीमारी ने सुअरों को अपना निशाना बनाया है, इसका संक्रमण इसानों में होने का भी खतरा बढ़ गया है। इस बीमारी से अब तक देश में लाखों सुअर मर चुके हैं और मौत का ये सिलसिला लगातार जारी है। विशेषज्ञ इसे अफ्रीकन स्वाइन फीवर का नाम दे रहे हैं। इससे सुअर के शरीर का तापमात बेतहाशा बढ़ रहा है और शरीर में सुजन आ रही है। सांस लेने में दिक्कत के बाद सुअर चक्कर खाकर गिर रहे हैं और चंद घंटों के अंदर उनकी मौत हो रही है। ये बीमारी कितना भयावह रूप ले चुकी है इसका अंदाजा मौत के इन आंकड़ो से लाया जा सकता है। पिछले एक महीने के दौरान केरल में 20 हजार से अधिक जंगली और पालतू सुअर मर चुके हैं। इसी तरह असम, मेघालय, मिजोरम में भी सैकड़ों सुअरों की मौत हो चुकी है। यूपी के सहारनपुर, बिजनौर में भी ये बीमारी कहर बनकर टूटी है, यहां महज एक हफ्ते के दौरान 500 से अधिक सुअर मर चुके हैं। बात उत्तराखण्ड की करें तो इस बीमारी ने अपना पहला निशाना ऋषिकेश को बनाया है यहां बीते एक सप्ताह में 200 से अधिक सुअर मच चुके हैं। ऋषिकेश के बाद इस बीमारी ने उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में भी दस्तक दे दी है। रिस्पना-बिंदाल के तटीय इलाकों में बड़े पैमाने में सुअर पालन का काम किया जाता है यहां भी 500 से अधिक सुअरों की मौत हो चुकी है। बिंदाल नदी के किनारे तो सुअर की लाशों के ढेर लग चुके हैं। माना ये जा रहा है कि सुअर अफ्रीकन स्वाइन फीवर से ग्रसित हो चुके हैं। लेकिन इस बात की अभी पुष्टी नहीं हो पाई है कि ये बीमारी आखिर है क्या। सुअरों के सैंपल बरेली लैब भेजे गये हैं। कई राज्यों ने एहतियातन सुअर के मांस पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है। क्योंकि इस बीमारी का इंसानों में संक्रमण होने का खतरा बढ़ गया है।