दुनिया की विख्यात नदियों में शुमार गंगा-यमुना के उद्गम वाले उत्तराखंड की नौ नदियां देश की सबसे प्रदूषित नदियों की सूची में शामिल हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश में जैविक प्रदूषण के संकेतक बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) के तहत, 323 नदियों पर 357 प्रदूषित नदी खंडों की पहचान की गई। यानी नदियों के अलग-अलग हिस्से, इन प्रदूषित नदी खंडों में उत्तराखंड की नौ नदियां शामिल हैं। जिसमें सुसवा, ढेला भेला, किच्छा, कल्याणी, गंगा, कोसी, नंदौर और पिलखर नदी के कुछ खंड सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं।
इन नदियों में सबसे अधिक प्रदूषित नदी देहरादून में बहने वाली सुसवा नदी है। रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य की सुसवा नदी मोथरावाला से रायवाला के बीच सबसे अधिक प्रदूषित है। नदी में प्रतिलीटर मिलीग्राम में बीओडी का स्तर 37 है, जबकि एक प्रदूषण मुक्त नदी के लिए उसमें बीओडी की मात्रा का स्तर प्रतिलीटर एक मिलीग्राम से कम होना चाहिए। बोओडी- ऑक्सीजन की वह मात्रा है जो जल में कार्बनिक पदार्थों के जैव रासायनिक अपघटन के लिए आवश्यक होती है। जल में जितनी अधिक बीओडी की मात्रा होगी, नदी उतनी अधिक प्रदूषित मानी जाएगी। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से होकर गुजरने वाली सुसवा नदी का पानी किसी को भी कोमा में पहुंचा सकता है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर से की गई सैंपलिंग में यह चौंकाने वाली बातें पहले ही सामने आ चुकी हैं। इस नदी के पानी में मैग्नीशियम, कैल्शियम से लेकर डिसॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा दोगुनी से अधिक हो चुकी है। विशेषज्ञों के मुताबिक इतनी मात्रा में प्रदूषण होने से इस पानी की जद में आने वाले व्यक्ति कोमा तक में जा सकते हैं। नदी के आस-पास रहने वाले अधिकांश लोग कैंसर जैसी भयानक बीमारी की जद में आ चुके हैं।
बहरहाल, 2025 तक उत्तराखंड को अग्रणी राज्य बनाने का एलान करने वाली प्रदेश सरकार के सामने इन नदियों को भी प्रदूषण मुक्त करने की चुनौती है। जो राज्य अपनी स्वच्छ आबो हवा के लिये जाना जाता हो और देश की सबसे अधिक प्रदूषित नदियों में उस राज्य की 9 नदियां शामिल हो जाएं तो मामला बेहद चिंताजनक है।