आखिर कौन हैं साकार हरि बाबा? जिसने पांव की मिट्टी के लिये मच गई भगदड़
हाथरस सत्संग में मची भगदड़ में मरने वालों का आंकड़ा सवा सौ से उपर पहुंच गया है, सैकड़ों लोग घायल हैं, मगर बाबा अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। इस खौफनाक घटना के बाद हर किसी के मन में यही सवाल है कि आखिर ये बाबा हैं कौन? जिनके पैरों की मिट्टी उठाने के चक्कर में भक्तों के बीच होड़ मच गई और हालात भगदड़ में तब्दील गये, बच्चे, बुजुर्ग महिलाएं समेत 115 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवा दी।
भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि बाबा पुलिस की नौकरी कर चुके हैं। वो कासगंज के पटियाली गांव के रहने वाले हैं। यूपी पुलिस में 18 साल की नौकरी के बाद उन्होंने 1990 में वीआरएस ले लिया। बकौल बाबा वीआरएस के बाद उन्हें भगवान से साक्षात्कार हुआ। इसके बाद उनका झुकाव आध्यात्म की ओर हुआ। वो समागम लगाने लगे और उनके प्रवचन सुनने के लिये लोगों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती चली गई। और देखते ही देखते उनके फॉलोवर लाखों से करोड़ों में पहुंच गये। भोले बाबा धार्मिक बाबाओं की तरफ गेरुआ वस्त्र या कोई अलग पोशाक में नजर नहीं आते हैं। वो अकसर सफेद सूट, टाई और जूते पहने रहते हैं।
ये भी कहा जाता है कि उनके समागम या सत्संग में जो भी दान, दक्षिणा, चढावा आता है, वे अपने पास कुछ नहीं रखते, उसे भक्तों के लिए खर्च कर दिया जाता है।
मगर आज कई अहम सवाल खड़े हुये हैं, आखिर किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से क्या भगवान का दर्जा दिया जा सकता है? क्या उसके पांव की मिट्टी इतनी पवित्र हो चुकी है कि उसे सर पर रखने के लिये होड़ मचनी शुरू हो जाए? आखिर ऐसे भक्ती का क्या फायदा जो लोगों का जीवन ही समाप्त कर दे?