कार्यवाहक डीजीपी से सीधे जेल भेजे गये अभिनव कुमार, क्यों कतर दिये पर
आईपीएस अभिनव कुमार की नाटकीय अंदाज में अचानक कार्यवाहक डीजीपी से छुट्टी होना और यहां से सीधे जेल की जिम्मेदारी मिलने से सूबे के सियासी और प्रशासनिक गलियारे में चर्चा गर्मा गई है।
सवाल यही तैर रहा है कि जो अधिकारी अभी तक सीएम पुष्कर सिंह धामी का चहेता रहा आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि उनके पर कतर दिये गये।
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण खुद आईपीएस अभिनव कुमार को बताया जा रहा है। चर्चा उस एक चिट्ठी की हो रही है जो कथित तौर पर उन्होंने गृह सचिव के नाम लिखी थी। जिसमे यूपी की योगी सरकार की तरह यूपीएससी और केन्द्र की सहमति के बिना डीजीपी बनाने का रास्ता सुझाया गया था। और यहीं पर उनसे चूक हो गई। वहां तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और गृह मंत्री अमित शाह की अदावत चल रही थी इधर जब उत्तराखंड सरकार को भी उसी रास्ते पर चलने की सलाह दी गई तो ये दिल्ली को रास नहीं आया।
बताया जा रहा है कि इसके बाद दिल्ली ने आंखें टेढ़ी कीं और आनन फानन में वरिष्ठ आईपीएस दीपम सेठ को एसएसबी से कार्य मुक्त कर उत्तराखंड पुलिस की कमान सौंप दी गई। और कार्यवाहक डीजीपी की कुर्सी छीनने के बाद उनसे एडीजी लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी भी हटा दी गई और उन्हें सीधे एडीजी जेल बना दिया गया।
जबकि एक दौर ऐसा भी था जब सीएम पुष्कर धामी ने अपने पिछले कार्यकाल में उन्हें अपर मुख्य सचिव सीएम की जिम्मेदारी देते हुये उन्हें विशेष प्रमुख सचिव सूचना और खेल तक दे दिया था।
एडीजी अभिनव कुमार का कार्यवाहक डीजीपी के पद पर कार्यकाल 11 महीने 24 दिन का रहा। उन्हें आईपीएस अशोक कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद ये जिम्मेदारी दी गई थी।