कहते हैं इरादे मजबूत हों तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती। अलीगढ़ के डोरी नगर निवासी रिंकू सिंह राही ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। हापुड़ में समाज कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात रिंकू सिंह ने 13वें प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा पास करने में सफलता हासिल की है। उन्हें 683वीं रैंक मिली है। लेकिन रिंकू सिंह की सफलता की कहानी वैसी नहीं है जैसी आईएएस बनने वाले दूसरे लोगों की है। रिंकू के आईएएस बनने की कहानी में बहुत दर्द, बलिदान और ईमानदारी की लड़ाई के जख्म छुपे हुये हैं।
रिंकू सिंह राही ने यूपी पीसीएस 2007 बैच की परीक्षा उत्तीर्ण कर 2008 में जिला समाज कल्याण अधिकारी के तौर पर मुजफ्फरनगर में ज्वाइनिंग की थी। इस दौरन उन्होंने जिले में करीब सौ करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले का पर्दाफाश किया था। इसकी सूचना उन्होंने निदेशालय को दी थी। कुछ दिन बाद उन पर घोटालेबाजों ने जानलेवा हमला करा दिया। हमले में रिंकू को सात गोली लगीं, एक आंख हमेशा के लिए चली गई, और जबड़ा टूट गया। किसी तरह जान बच पाई। इसके बाद भी रिंकू सिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग जारी रखी। यहां तक की उन्हें पागल घोषित कर मेंटल हॉस्पिटल में भी भर्ती करा दिया गया। पीसीएस सेवा के दौरान उन्हें कई बार सस्पेंड भी किया गया। इस दौरान रिंकू सिंह राही यूपीएससी की तैयारी करते रहे और लगातार प्रयास के बाद 13 साल बाद आज उन्होंने सफलता हासिल कर ली है। ईमानदारी की जिंदा मिसाल माने जाने वाल रिंकू सिंह राही कहते हैं कि पद और विभाग कोई भी हो। भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनका संघर्ष जारी रहेगा।